देहरादून , अक्टूबर 17, -- अगले वर्ष 19-20 फरवरी को भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित होने वाले इंडिया-एआई इम्पैक्ट समिट 2026 के प्री-समिट का शुक्रवार को उत्तराखंड के देहरादून में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री जितिन प्रसाद ने किया।

उन्होंने कहा कि ⁠हम विश्वस्तरीय कंप्यूटिंग शक्ति को एक डॉलर प्रति घंटे से भी कम कीमत पर उपलब्ध करा रहे हैं। जिससे अनुसंधान, इनोवेशन और सकारात्मक परिवर्तन संभव हो सकेंगे।

श्री प्रसाद ने कहा कि पिछली सदी में परमाणु तकनीक जो मायने रखती थी, वह इस सदी के लिए एआई है। लेकिन इस बार, भारत यह सुनिश्चित कर रहा है कि यह अवसर सभी को समान रूप से मिले। उन्होंने कहा कि एआई द्वारा कुंभ के प्रबंधन से लेकर शासन और शिक्षा में बदलाव तक, भारत यह दिखा रहा है कि जो कभी अकल्पनीय था, वह अब संभव है। उन्होंने कहा कि यह नया भारत है, जो आत्मविश्वास से भरा हुआ है, सक्षम है और प्रभावशाली तकनीक के उपयोग में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है।

उत्तराखंड सरकार के सचिव, आईटी नितेश कुमार झा ने कहा कि हम नियमित रूप से एआई का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन भारत सरकार और हमारे राज्य का व्यापक उद्देश्य केवल एआई का उपयोग करना नहीं, बल्कि एआई का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि हमने एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया है और पहला ड्रोन अनुप्रयोग केंद्र भी स्थापित किया है। जहाँ हम ड्रोन तकनीक में एआई को एकीकृत कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए, हमें इस वर्ष प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है।

प्री-समिट कार्यक्रम में आईआईटी रुड़की, आईआईएम काशीपुर, टोनी ब्लेयर इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल चेंज, यूपीईएस और एसटीपीआई देहरादून जैसे प्रमुख संस्थानों ने हिस्सा लिया। इसमें आईआईएम काशीपुर और एसटीपीआई देहरादून के सहयोग से एआई-आधारित स्टार्टअप्स द्वारा प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिनमें शासन, उद्यमिता और सामाजिक प्रभाव में एआई के व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर प्रकाश डाला गया।

इस अवसर पर भारत एआई मिशन, एमईआईटीवाई के निदेशक मोहम्मद वाई सफिरुल्ला, युकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. दुर्गेश पंत, यूपीईएस, देहरादून के कुलपति प्रो. राम शर्मा; एनआईसी के एसआईओ संजय गुप्ता और एनआईसी मुख्यालय के एआई प्रभाग की डीडीजी एवं एचओजी शर्मिष्ठा दास प्रमुख रूप से शामिल रहीं।

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