अलवर , अक्टूबर 13 -- राजस्थान में गुप्तचर पुलिस ने सोमवार को कहा कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने वाले मंगत सिंह करीब तीन महीने से हेड कांस्टेबल सुरजन सिंह के मकान में किराए पर रह रहा था।

सूत्रों के मुताबिक एजेंसियों ने जयपुर में उससे पूछताछ की और उसके मोबाइल से जासूसी से जुड़ी अहम जानकारी बरामद की है। गुप्तचर पुलिस ने उसे शुक्रवार को गिरफ्तार किया था। शनिवार को खुफिया एजेंसी उसे अलवर में मौका मुआयना कराने के लिए आई थी। मंगत सोशल मीडिया के जरिये पाक हैंडलर्स को ऑपरेशन सिंदूर और सैन्य गतिविधियों से जुड़ी गोपनीय जानकारी भेज रहा था।

सूत्रों ने बताया कि सुरजन सिंह बगड़ तिराया थाने में तैनात है। घर पर मंगत सिंह की पत्नी परमजीत कौर रोते हुए मिली और मां शकुंतला की आंखों से आंसू छलक रहे थे। परिवार का कहना है कि हमें यकीन ही नहीं हो रहा कि मंगत ऐसा कुछ कर सकता है। वह तो फैक्ट्री से आकर थोड़ा फोन चलाता और सो जाता था। परिवार ने कहा कि मंगत को फंसाया गया है क्योंकि वह ज्यादा मोबाइल भी इस्तेमाल नहीं करता था। उसने बताया कि वह एक लड़की के संपर्क में था, जिसने उसे फंसाया, लेकिन परिजनों को यह मालूम नहीं कि वह पाकिस्तान की रहने वाली है। सुरजन सिंह ने किराए पर देने से पहले मंगतसिंह का आधार कार्ड भी लिया था। मंगत सातवीं पास था और जेके लक्ष्मी सीमेंट में सुपरवाइजर के पद पर काम करता था। पत्नी परमजीत कौर के मुताबिक पुलिस दल उसे फैक्ट्री से ही उठा ले गया। उसे इस मामले की भनक तक नहीं थी।

परमजीत ने बताया कि परिवार पिछले छह दिन से खाना तक नहीं खा पा रहा, लोग उन्हें अब 'जासूस की बीवी' कहकर काम से निकाल दिया है। परिवार के तीन बच्चे हैं और वे पिछले 13 वर्ष से किराए पर रह रहे हैं । मंगत की मां शकुंतला ने कहा मेरा बेटा किसी से ज्यादा मेलजोल नहीं रखता था। वही मुझे खाना खिलाता था। उन्होंने बताया कि मंगत के दो बेटे हैं एक बेटा बीमार रहता है जिसके मिर्गी के दौरे आते हैं परिवार में मंगत के अलावा कोई कमाने वाला नहीं था अब हमारे सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है।

वहीं मंगत की मौसी ने कहा कि उसे पाकिस्तानी लड़की ने हनी ट्रैप में फंसाया है। जांच में सामने आया कि मंगत सिंह पिछले दो वर्ष से आईएसआई को गोपनीय सूचनाएं भेज रहा था। वह सोशल मीडिया के जरिये महिला पाक हैंडलर ईशा (बदला हुआ नाम) से जुड़ा था। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी उसने अलवर सैन्य क्षेत्र की कई जानकारियां साझा की थीं।

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