श्रीनगर , अक्टूबर 23 -- जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सदस्यों ने पूर्ववर्ती राज्य के अंतिम राज्यपाल सत्यपाल मलिक और पिछले सत्र के बाद दिवंगत हुए कई अन्य विधायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
स्व. मलिक जम्मू-कश्मीर के अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक राज्यपाल रहे थे और उनके राज्यपाल रहते ही पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया। यह एक ऐसा घटनाक्रम है जो जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। इस कदम के ठीक छह साल बाद, पांच अगस्त, 2025 को उनका निधन हो गया।
विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने का शरदकालीन सत्र के पहले दिन गुरूवार को सदन में स्व. मलिक और अन्य दिवंगत नेताओं को याद किया जिनमें पूर्व मंत्री गुलचैन सिंह चरक, पूर्व विधायक दीना नाथ भगत, मोहम्मद सुल्तान पंडितपुरी और पूर्व एमएलसी गुलाम नबी शाहीन, रमेश अरोड़ा और सरदार मोहम्मद अखलाक खान शामिल थे।
उन्होंने सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान की प्रशंसा की और विधायकों से सत्र के सीमित समय का उपयोग लोगों के कल्याण के लिए करने का आग्रह किया।
श्रद्धांजलि सभा के दौरान, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, विपक्ष के नेता सुनील कुमार शर्मा, उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी और विभिन्न दलों के कई विधायकों एम.वाई. तारिगामी, जी.ए. मीर, विक्रम रंधावा, रफीक नाइक और खुर्शीद अहमद शेख आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित की और दिवंगत नेताओं की जम्मू-कश्मीर के प्रति सेवा को याद किया।
हालांकि सदन की शांत कार्यवाही उस समय थोड़ी गर्म हो गई जब बिजबेहरा के विधायक बशीर वीरी ने स्व. मलिक के कार्यकाल को विवादास्पद कहा जिस पर विपक्षी भाजपा विधायकों ने आपत्ति दर्ज की।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक एम.वाई. तारिगामी ने कहा कि हालांकि मृतक के बारे में बुरा बोलने से बचना चाहिए लेकिन "ऐसे सार्वजनिक व्यक्तियों की भूमिका का आकलन करने की गुंजाइश होनी चाहिए जिनके कार्यों का लोगों पर स्थायी प्रभाव पड़ा हो।"नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक नज़ीर गुरेजी ने पांच अगस्त की घटनाओं में श्री मलिक की भूमिका को "असंवैधानिक" करार दिया, जिसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। भाजपा विधायक विक्रम रंधावा ने कहा कि मलिक ने "जम्मू-कश्मीर को एक नई दिशा दी" और पांच अगस्त को "एक महत्वपूर्ण दिन" बना दिया, जिससे नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्यों का विरोध भड़क उठा।
श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्रीअब्दुल्ला ने श्री मलिक के लंबे सार्वजनिक जीवन को याद किया और कहा कि उन्होंने कई राज्यों में विधायक, मंत्री और राज्यपाल के रूप में कार्य किया।
हंगामे के कारण अध्यक्ष को हस्तक्षेप करना पड़ा और आगे की चर्चा रोकनी पड़ी।
मुख्यमंत्री ने पूर्व विधायक मोहम्मद सुल्तान पंडितपुरी के निधन की सूचना विधानसभा सचिवालय को देने में जिला अधिकारियों की विफलता पर भी चिंता व्यक्त की और मुख्य सचिव से स्पष्टीकरण मांगने का आग्रह किया।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित