लखनऊ , अक्टूबर 30 -- नगर निगम लखनऊ की कार्यकारिणी की गुरुवार को हुई बैठक एक बार फिर प्रशासन की लापरवाही के कारण बेनतीजा रही। बैठक की अध्यक्षता करते हुये महापौर सुषमा खर्कवाल ने कहा कि प्रशासन की निष्क्रियता और जनहित से जुड़े मुद्दों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

महापौर ने कहा कि कार्यकारिणी और सदन जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप निर्णय लेते हैं, ताकि शहर के विकास और नागरिकों की सुविधा सुनिश्चित की जा सके। किंतु खेद की बात है कि प्रशासन लगातार पारित निर्णयों को दरकिनार कर रहा है, जिससे सरकारी धन और समय दोनों का नुकसान हो रहा है। उन्होंने इसे "जनप्रतिनिधियों और जनता दोनों का अपमान" बताया।

उन्होने कहा कि शहर की सफाई व्यवस्था, मार्ग प्रकाश, जलभराव, टूटी सड़कों, मृतक आश्रितों के अधिकार और निगम की भूमियों पर अवैध कब्जों जैसे विषयों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। समाजसेवी नागरिकों के सम्मान से जुड़े प्रस्ताव भी अधर में लटके हैं।

महापौर ने पुनरीक्षित बजट को लेकर भी प्रशासन पर गंभीर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि "बजट एक गोपनीय और विकास की दिशा तय करने वाला दस्तावेज़ होता है। इस पर चर्चा के बजाय इसे डाक से भेजा जाना प्रशासन की गंभीर लापरवाही है।"महापौर ने कहा कि दो वर्षों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कार्यकारिणी और सदन द्वारा पारित निर्णयों का अनुपालन नहीं हुआ है। "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि निगम प्रशासन ने जनता का पैसा और प्रतिनिधियों का समय व्यर्थ किया है।"उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक पहले से लिए गए निर्णयों का अनुपालन नहीं होगा, तब तक कार्यकारिणी की अगली बैठक नहीं बुलाई जाएगी। प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि वह यह बताए कि लंबित प्रस्तावों को लागू करने में कितना समय लगेगा।

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