श्रीनगर , अक्टूबर 17 -- जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि उनकी सरकार जनता के हित से जुड़े किसी भी विधेयक का विरोध नहीं करेगी लेकिन विधेयकों के बारे में फैसला विधानसभा अध्यक्ष ही करेंगे।
श्री अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कुलगाम ज़िले में पत्रकारों से बातचीत में कहा, "विधानसभा अध्यक्ष तय करेंगे कि कौन-सा विधेयक सदन में आएगा और कौन-सा नहीं। लेकिन अगर कोई ऐसा विधेयक आता है जो जम्मू-कश्मीर की जनता के लिए लाभकारी है, तो मेरी सरकार उसे रोकने का कोई इरादा नहीं रखती।"उन्होंने स्पष्ट किया कि वे किसी विधायक को यह निर्देश नहीं दे सकते कि कौन-सा विधेयक लाया जाए या नहीं। "हर सदस्य को विधेयक लाने का अधिकार है। जब अच्छे विधेयक होंगे, हम उनका समर्थन करेंगे।"श्री अब्दुल्ला ने यह बात तब कही जब उनसे पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने आगामी विधानसभा सत्र में अपनी पार्टी के दो निजी विधेयकों के पारित होने को राज्यसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) को समर्थन देने से जोड़ने पर प्रतिक्रिया मांगी गयी थी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि विभिन्न दलों के कई विधायक निजी विधेयक लाए हैं। इनमें उनके अपने सहयोगी तनवीर सादिक भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने कहा "उन्होंने भूमि अनुदान अधिनियम में संशोधन से जुड़ा विधेयक पेश किया है। अब यह अध्यक्ष पर निर्भर करेगा कि वह विधेयक सदन में आता है या नहीं। इसी तरह, पीडीपी का प्रस्तावित विधेयक भी प्रक्रिया से गुजरेगा। उनकी सरकार जनहितकारी विधेयकों में कोई अड़चन नहीं डालेगी।"विदित हो कि विधानसभा सत्र 23 अक्टूबर से शुरू होगा, जबकि राज्यसभा की चार सीटों के चुनाव अगले दिन होंगे। एनसी सभी चार सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं भाजपा ने तीन उम्मीदवार उतारे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू होने के एक वर्ष के भीतर केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दे देगी। उन्होंने दोहराया कि एनसी पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कराने की मांग जारी रखेगी।
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