श्रीनगर , दिसंबर 04 -- जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार के प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदलकर 'सेवा तीर्थ' और राजभवन का नाम बदलकर 'लोक भवन' करने के फैसले पर टिप्पणी करते हुए गुरुवार को कहा कि जनता को दफ्तरों के नाम बदलने से ज़्यादा अच्छे काम से मतलब है।
श्री अब्दुल्ला ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "नाम बदलने से मदद नहीं मिलती, काम बदलें। ज़मीन पर काम किए बिना सिर्फ नाम बदलने से कोई फायदा नहीं होगा।" उन्होंने मशहूर कवि शेक्सपियर की बात को दोहराया, "गुलाब को किसी भी दूसरे नाम से पुकारो तो भी उसकी खुशबू उतनी ही मीठी होगी।" उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि नाम मायने नहीं रखते, काम मायने रखता है।"मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग सरकार को उसके पदनाम से नहीं, बल्कि कामकाज के तरीके से देखते हैं। उन्होंने कहा, "हम खुद को मुख्यमंत्री कहें या कुछ और, लोगों को फर्क नहीं पड़ता। उन्हें मेरे काम से मतलब है।"श्री अब्दुल्ला ने 'लोक भवन' के नए नाम पर कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, जब तक कि वहाँ लोगों के काम होते रहें। उन्होंने कहा, "लोक भवन ठीक है। इसका मतलब है कि वहाँ लोगों को राहत मिलनी चाहिए। उनका काम होना चाहिए। यह एक अच्छी बात है।" उन्होंने स्पष्ट किया कि नामों का यह बदलाव पूरे देश के लिए है, केवल जम्मू-कश्मीर के लिए नहीं है।
मुख्यमंत्री ने जम्मू कश्मीर में आरक्षण के नियमों में बदलाव के मुद्दे पर कहा कि फाइल बुधवार को उपराज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेज दी गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मंजूरी मिलने के बाद इस पर आदेश जारी किया जाएगा।
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