जयपुर , नवम्बर 09 -- राजस्थान में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् (राजीविका) के सहयोग से बांसवाडा, डूंगरपुर, झालावाड़, कोटा, प्रतापगढ़, सिरोही, उदयपुर जिलों में स्थापित वन धन विकास केन्द्रों पर भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गयी।

आधिकारिक सू्त्रों ने रविवार को बताया कि कार्यक्रम स्थलों पर जनजातीय संस्कृति, परंपरा और महिला सशक्तीकरण का अद्भुत संगम देखने को मिला । इस अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा के जीवन संघर्ष, समाज सेवा एवं आदिवासी अधिकारों के प्रति उनके योगदान की कहानियां सुनाई गयी।इसमें कहा गया "बिरसा मुंडा का जीवन संघर्ष, समर्पण और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। उनके आदर्शों से हमें समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ने की प्रेरणा मिलती है।"सू्त्रों ने बताया कि विभिन्न कार्यक्रमों में रस्साकशी, म्यूजिकल चेयर, चम्मच दौड़, मेहंदी एवं रंगोली प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिनमें महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। इन प्रतियोगिताओं के माध्यम से महिलाओं में नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास और टीम भावना को प्रोत्साहन मिला ।

कार्यक्रम के अंतर्गत वन धन विकास केंद्र द्वारा निर्मित हस्तशिल्प एवं प्राकृतिक उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गयी। प्रदर्शनी में स्थानीय महिलाओं द्वारा निर्मित हर्बल गुलाल, पलाश साबुन, कंकोड़ा अचार, मुख़वास, शहद, धावड़ी गोंद, मल्कांगनी तेल, मोरिंगा पाउडर, नीम-हल्दी-चंदन-एलोवेरा साबुन, जूट बैग आदि उत्पादों का प्रदर्शन किया गया |सूत्रों ने बताया कि ये उत्पाद पूर्णतः प्राकृतिक, पर्यावरण अनुकूल एवं स्थानीय संसाधनों पर आधारित हैं, जिन्हें ग्रामीण महिलाएँ पारंपरिक विधियों से तैयार करती हैं। इन उत्पादों ने न केवल महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता को सशक्त किया है, बल्कि ग्रामीण उद्यमिता और स्थानीय ब्रांड पहचान को भी नई दिशा दी है।

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