सुकमा , अक्टूबर 05 -- एक दशक से अधिक समय तक नक्सलवाद की मार झेल चुके सुकमा के जगरगुंडा क्षेत्र में एक नया सामाजिक-सांस्कृतिक पुनर्जागरण देखने को मिल रहा है। जहाँ कभी बंदूकों की आवाज़ें गूँजती थीं, आज वहाँ ढोल-नगाड़ों, आरती और रास-गरबा की मधुर ध्वनियाँ सुनाई दे रही हैं।
इस वर्ष नवरात्रि के अवसर पर जगरगुंडा में डेढ़ दशक बाद पहली बार रास-गरबा का भव्य आयोजन किया गया, जो इस क्षेत्र में लौटती सामान्य जीवन की एक ऐतिहासिक घटना बन गई। ग्राम पंचायत की युवा सरपंच नित्या कोसमा ने स्वयं इस आयोजन का नेतृत्व किया और महिलाओं व युवतियों को गरबा सिखाया।
सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने कहा,"जगरगुंडा में हो रहा बदलाव सिर्फ विकास नहीं, यह विश्वास की वापसी है। सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों के सहयोग से क्षेत्र से नक्सल प्रभाव तेजी से समाप्त हुआ है।"वर्ष 2006 के बाद सलवा जुडूम अभियान के दौरान यह क्षेत्र पूरी तरह से सिमट गया था। बुनियादी ढाँचे के अभाव, सुरक्षा चुनौतियों और सामाजिक जीवन के ठहराव के बाद अब धीरे-धीरे सड़कें, बिजली और स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचने लगी हैं।
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