रायगढ़ , नवंबर 25 -- छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के वनांचल इलाकों में किसानों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रहीं। पहले हाथियों का आतंक और अब जंगली सुअरों के झुंड धान की फसलों पर लगातार कहर बरपा रहे हैं। फसल कटाई का समय नजदीक है, ऐसे में जंगली सुअर रात होते ही खेतों में धावा बोल देते हैं और किसानों की महीनों की मेहनत कुछ ही मिनटों में बरबाद हो जाती है। हालात ये हैं कि किसान परिवार रातभर खेतों में डटे रहते हैं।

किसान अपने स्तर पर फसल बचाने की हर कोशिश कर रहे हैं। रायगढ़ शहर से सटे बड़गांव सहित आसपास के गांवों में बल्ब, टिमटिमाती रोशनी और देसी जुगाड़ के सहारे खेतों को सुरक्षित करने की जुगत लगाई जा रही है। कई किसान शाम में ही खेतों के चारों ओर लगाए बल्ब जलाते हैं, ताकि रोशनी देखकर जंगली सुअर पास न आएं। कई जगह किसान खेत किनारे पूरी रात आग जलाकर रखते हैं, जिससे उठने वाला धुआं जंगली जानवरों को दूर रखता है।

फसलों की रखवाली के लिए किसान रातभर जागकर निगरानी कर रहे हैं। कोई खेत किनारे बनाई अस्थायी झोपड़ी में बैठा रहता है, तो कोई टॉर्च लेकर लगातार गश्त करता है। किसानों का कहना है कि ज़रा-सी लापरवाही या 1-2 घंटे की नजर हटते ही पूरा खेत बर्बाद हो सकता है।

किसानों का दर्द ये है कि जंगली सुअरों से होने वाले नुकसान को मुआवजे के योग्य नहीं माना जाता, जबकि खेतों में लाखों-करोड़ों की फसलें नष्ट हो जाती हैं। हाथियों से हुए नुकसान पर राहत तो मिलती है, लेकिन जंगली सुअरों पर किसी की नज़र नहीं जाती। किसानों ने प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग की है और जंगली सुअरों द्वारा फसल नुकसान को मुआवजे की श्रेणी में शामिल करने की अपील की है।

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