लखनऊ , नवंबर 24 -- उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने यहां के छोटा इमामबाड़ा को अतिक्रमणमुक्त कराने के मामले में नगर निगम से उसके द्वारा की गयी कारवाई की रिपोर्ट मांगी है । साथ ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग(एएसआई) से भी छोटा इमामबाड़ा के प्रवेश द्वारों को संरक्षित करने की जानकारी मांगी है। न्यायालय इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी में तय की है।

न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने सोमवार को यह आदेश सैयद मोहम्मद हैदर रिजवी की वर्ष 2013 में दाखिल जनहित याचिका पर दिया। पहले, न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार और नगर निगम को शहर के संरक्षित स्मारकों की हिफाजत और अतिक्रमण मुक्त करने का आदेश दिया था। साथ ही दोनों से पूछा था कि लखनऊ और आस पास के संरक्षित स्मारकों की हिफाजत तथा अतिक्रमण मुक्त करने को क्या कदम उठाए हैं ? न्यायालय ने मामले में राज्य सरकार और नगर निगम से जवाबी हलफ़नामा भी मांगा था। याचिका में संरक्षित स्मारकों की सुरक्षा समेत इन्हें अतिक्रमण से बचाने का आग्रह किया गया है।

सुनवाई के दौरान एएसआई के वकील ने न्यायालय को बताया था कि छोटा इमामबाड़ा समेत संरक्षित स्मारकों की मरम्मत का काम प्रगति पर है। ऐसे में संरक्षित स्मारकों का रखरखाव न किए जाने की याचिकाकर्ता की आशंका निर्मूल है। हालांकि, वकील ने माना था कि छोटा इमामबाड़ा के कुछ हिस्सों पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। इसमें पश्चिमी गेट और कुछ दीवारों की मरम्मत किए जाने की आवश्यकता बताई थी। उन्होंने कहा था कि इन्हें जब तक पूरी तरह मरम्मत नहीं किया जाता तब तक इनके ढहने की स्थित में जनहानि हो सकती है।

उस दौरान न्यायालय कहा था कि ऐसे में यह मामला, एएसआई समेत संबंधित ट्रस्ट के तत्काल गौर करने लायक है। न्यायालय ने जिला प्रशासन समेत स्थानीय प्राधिकारियों को आदेश दिया था कि हुसैनाबाद स्थित छोटा इमामबाड़ा के प्रवेश द्वारों को अतिक्रमणकर्ताओं से मुक्त कराएं।

गौरतलब है कि न्यायालय ने इसी साल सात जनवरी को शहर के संरक्षित स्मारकों की हिफाजत और अतिक्रमण मुक्त करने के मामले में जिला प्रशासन समेत स्थानीय प्राधिकारियों को आदेश दिया था कि हुसैनाबाद स्थित छोटा इमामबाड़ा के प्रवेश द्वारों को अतिक्रमणकर्ताओं से मुक्त कराएं। न्यायालय ने एएसआई को छोटा इमामबाड़ा की मरम्मत काम का अनुमानित ब्योरा भी पेश करने का आदेश दिया था।

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