रायपुर, 23 नवंबर 2025 (वार्ता) केंद्र सरकार द्वारा देशभर की 41 कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया फिर से शुरू करने की घोषणा के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति गर्मा गई है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इस फैसले को पर्यावरण और जनहित के खिलाफ बताते हुए कड़ी आपत्ति दर्ज की है। कांग्रेस का आरोप है कि केन्द्र सरकार अपने उद्योगपति मित्रों विशेषकर अडानी समूह को लाभ पहुंचाने के लिए एक बार फिर से खनिज संपदा को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार ने निजी कमर्शियल उपयोग के लिए जिन 41 खदानों की नीलामी की सूचना जारी की है, उनमें से 15 खदानें छत्तीसगढ़ के घने वन क्षेत्र में स्थित हैं। इन खदानों को शुरू करने के लिए लाखों पेड़ काटे जाने की आशंका है, जिससे राज्य की पर्यावरणीय संरचना और वन्यजीव संरक्षण पर गंभीर खतरा उत्पन्न होगा। बैज ने आरोप लगाया कि यह नीलामी प्रक्रिया 29 नवंबर तक ई-ऑक्शन के माध्यम से पूरी की जानी है, जो केंद्र के जल्दबाजी भरे फैसले को दर्शाती है।
कांग्रेस ने विशेष रूप से रायगढ़ जिले की चार कोल खदानों का मुद्दा उठाया, जो लेमरू एलीफेंट रिज़र्व और रेलवे लाइन के बेहद निकट स्थित हैं। इसके अलावा धरमजयगढ़ क्षेत्र की दो खदानें भी हाथी प्रभावित ज़ोन में आती हैं। बैज ने कहा कि सरकार लेमरू रिज़र्व के भीतर ही दो नई माइंस विकसित करने की योजना बना रही है, जबकि इस क्षेत्र में आज भी हाथियों की लगातार आवाजाही बनी हुई है।
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