बेमेतरा , अक्टूबर 25 -- छत्तीसगढ़ का गौरव कहे जाने वाला गिधवा-परसदा पक्षी विहार एक बार फिर चर्चा में है। इस बार इसकी चर्चा का कारण बना एक अनोखा मेहमान विदेशी पक्षी 'मलार्ड'।

वन विभाग के अधिकारियों शनिवार को कहा, "मलार्ड का आगमन यह दर्शाता है कि बेमेतरा की जलवायु, जलस्तर और पारिस्थितिकीय संतुलन प्रवासी पक्षियों के लिए अनुकूल हो चुका है।" राज्य की धरती पर पहली बार इस विदेशी प्रजाति का आगमन हुआ है, जिसने बेमेतरा जिले के गिधवा-परसदा को अंतरराष्ट्रीय पक्षी आगमन स्थल के रूप में नई पहचान दिलाई है।

गौरतलब है कि मलार्ड अनास वंश की प्रसिद्ध बत्तख प्रजाति है, जो सामान्यतः उत्तर अमेरिका, यूरोप, एशिया और उत्तर अफ्रीका के ठंडे क्षेत्रों में पाई जाती है। पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार, यह अत्यंत दुर्लभ प्रवासी पक्षी भारत के सीमित इलाकों में ही दिखाई देता है। पहली बार बेमेतरा के शांत, हरे-भरे और जलसमृद्ध गिधवा-परसदा जलाशय में मलार्ड के आगमन ने वैज्ञानिकों और प्रकृति प्रेमियों को उत्साहित कर दिया है।

स्थानीय पक्षी प्रेमियों और फोटोग्राफरों ने अपने कैमरे में मलार्ड की तस्वीरें कैद कीं, जिनकी पुष्टि वन विभाग द्वारा की गई है। यह दृश्य न केवल बेमेतरा बल्कि पूरे प्रदेश के पर्यावरण प्रेमियों के लिए हर्ष का विषय बना हुआ है।

करीब 180 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला गिधवा-परसदा तालाब और उसकी आर्द्रभूमि हर साल सैकड़ों देशी-विदेशी पक्षियों का घर बनती है। यहां पहले से ग्रे हेरॉन, ओपन बिल स्टॉर्क, ब्लैक-हेडेड आईबिस, कॉमन टील और पिंटेल डक जैसी प्रजातियाँ देखी जाती रही हैं लेकिन मलार्ड की मौजूदगी ने इस स्थल को और भी विशेष बना दिया है।

राज्य सरकार द्वारा गिधवा-परसदा को पहले ही संभावित रैमसर साइट के रूप में प्रस्तावित किया गया है। अब मलार्ड के आगमन से इसकी जैव-विविधता और वैश्विक महत्ता में और वृद्धि हुई है।

वन विभाग और पर्यटन विभाग ने यहां इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने, पर्यटक सुविधाओं का विकास करने तथा पक्षी संरक्षण को लेकर कई नई योजनाएँ बनाने की घोषणा की है।

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