पटना , अक्टूबर 25 -- बिहार की धरती पर लोक आस्था का महापर्व छठ की गूंज अब देश की सीमाओं को पार कर विदेशों तक पहुंच चुकी है, लेकिन इस पारंपरिक पर्व को नई पहचान देने का श्रेय जाता है बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को, जिनकी पहल ने आम जनमानस के पर्व को सत्ता के गलियारों तक पहुंचा दिया।

वर्ष 1997 का वह दौर बिहार की राजनीति के लिये ऐतिहासिक रहा। चारा घोटाले के बाद जब लालू प्रसाद को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, तब विषम परिस्थितियों में राबड़ी देवी ने सत्ता संभाली।

मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने बिल्कुल एक सामान्य महिला की तरह छठ व्रत किया। यह पहली बार था जब प्रदेश की किसी महिला मुख्यमंत्री ने व्रती बनकर सूर्य देव की आराधना की। इसी क्षण से इस लोक पर्व के साथ राजनीतिक चमक भी जुड़ गई। उस समय राबड़ी सरकार के कई मंत्री गंगा घाट से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक उनके साथ छठ पूजा की तैयारियों में जुटे रहते थे।

वर्ष 2005 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की पराजय और राबड़ी देवी के इस्तीफे के बाद लालू- राबड़ी आवास पर छठ की रौनक कुछ फीकी पड़ गई, हालांकि लालू प्रसाद के केंद्रीय रेल मंत्री बनने के बाद उनकी छठ दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर मनाई जाने लगी, लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के नेतृत्व वाले महागठबंधन की शानदार जीत के बाद एक बार फिर पटना स्थित राबड़ी आवास में छठ की वही पुरानी रौनक लौट आई।

राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव कई मौकों पर कह चुके हैं कि, 'सूर्य भगवान् साक्षात देवता हैं। यह सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय पर्व की तरह है, जिसे बिहारी भाइयों ने देशभर में फैलाया है। इस पर्व में सभी समुदायों की भागीदारी इसे खास बनाती है। हम लोगों ने वर्षों पहले राजधानी पटना के पहलवान घाट पर छठ करना शुरू किया था।'वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के परिवार में भी छठ की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। उनके बड़े भाई सतीश कुमार की पत्नी पहले भी मुख्यमंत्री आवास पर छठ पूजा कर चुकी हैं। इस बार भी मुख्यमंत्री की बहन, भाभी और भगिनी श्रद्धा के साथ व्रत कर रही हैं।

राजनीतिक गलियारों में छठ का उत्सव अब परंपरा बन चुका है। विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव के घर इस बार भी छठ पूजा का आयोजन जोर- शोर से हो रहा है।

वहीं बेगूसराय की पूर्व विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी अमिता भूषण भी व्रती बनकर सूर्य उपासना कर रही हैं। वे कहती हैं कि, 'जनता की सेवा के लिये खुद को और अधिक समर्पित करने की शक्ति भगवान सूर्य मुझे दें, यही मेरी कामना है।'बिहार की राजनीति में छठ सिर्फ श्रद्धा का पर्व नहीं रहा, बल्कि यह जनता से जुड़ाव और सामाजिक प्रतिबद्धता का प्रतीक बन गया है। राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री रहते इस पर्व ने जो राजनीतिक पहचान पाई, वह आज भी कायम है। चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सूर्योपासना के इस लोक पर्व में सभी एक साथ दिखते हैं।

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