लखनऊ/नई दिल्ली , दिसंबर 10 -- समाजवादी पार्टी की मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव ने लोकसभा में चुनाव सुधारों पर हो रही चर्चा में केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था होने के बावजूद सरकार के इशारे पर काम कर रहा है और पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहा है।

डिंपल यादव ने मांग की कि चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया में भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल किया जाए ताकि संस्था की निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने बैलट पेपर से चुनाव कराने, चुनाव के दौरान मतदाताओं को प्रलोभन देने और खातों में पैसे भेजने की प्रथा पर रोक लगाने की भी मांग रखी।

सपा सांसद ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश उपचुनावों में भाजपा ने बड़े पैमाने पर धांधली की। पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में खुद मतदान करते दिखाई दिए, जबकि समाजवादी पार्टी की बार-बार की शिकायतों के बावजूद चुनाव आयोग ने संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज देने से आयोग ने इनकार कर दिया, उल्टे 45 दिन बाद फुटेज हटाने का नया नियम बना दिया गया।

डिंपल यादव ने दावा किया कि यह स्थिति तब और बिगड़ी जब चुनाव आयोग की नियुक्ति समिति से मुख्य न्यायाधीश को हटाकर केंद्रीय मंत्री को शामिल कर दिया गया तथा आयोग पर कानूनी कार्रवाई से सुरक्षा देने वाला बिल पास कर दिया गया।

सपा सांसद ने कहा कि एसआईआर के बहाने नागरिकता कानून को परोक्ष रूप से लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आयोग का काम हर पात्र नागरिक को मतदाता सूची में शामिल करना है, लेकिन मतदाताओं के नाम जोड़ने की जगह हटाए जा रहे हैं। उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए बताया कि एसआईआर प्रक्रिया में 80 लाख नाम हटाए गए, लेकिन यह स्पष्ट नहीं कि ये मतदाता कहा गए। वहीं अंतिम सूची में 14 लाख डुप्लीकेट वोटर पाए गए।

उत्तर प्रदेश में एसआईआर प्रक्रिया पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि बीएलओ को पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं दिया गया, और अत्यधिक काम के दबाव में अब तक 10 से अधिक बीएलओ आत्महत्या कर चुके हैं, जो बेहद गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह स्थिति जारी रही तो देश में लोकतंत्र और संवैधानिक अधिकारों पर सीधा संकट पैदा होगा।

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