बेंगलुरु , दिसंबर 23 -- कर्नाटक के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्दारमैया ने मंगलवार को आरोप लगाया कि चुनाव आयोग द्वारा किए गए नवीनतम खुलासों ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के अंतर्गत राजनीतिक वित्तपोषण की गंभीर चिंताओं को उजागर किया ह जबकि उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया है।

एक बयान में श्री सिद्दारमैया ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में, चुनावी बांड रद्द होने के बाद पहले पूर्ण वर्ष में, भाजपा को 6,088 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 53 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने दावा किया कि इससे पता चलता है कि भाजपा द्वारा सत्ता का दुरुपयोग किसी एक वित्तीय तंत्र तक सीमित नहीं है।

उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव वर्ष के दौरान, भाजपा का कुल कोष लगभग 6,100 करोड़ रुपये था, जबकि कांग्रेस को 522 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।

उनके अनुसार, लगभग एक दर्जन विपक्षी दलों द्वारा जुटाया गया कुल चंदा 1,343 करोड़ रुपये था, जो अकेले भाजपा द्वारा एकत्रित चंदे के एक चौथाई से भी कम था। उन्होंने कहा कि वित्तीय संसाधनों का इस प्रकार केंद्रीकरण निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है और लोकतांत्रिक प्रतिस्पर्धा को कमजोर करता है।

पिछले वर्ष चुनावी बांड के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद सामने आए खुलासों का हवाला देते हुए श्री सिद्दारमैया ने आरोप लगाया कि भाजपा ने चार अलग-अलग तरीकों से धनराशि जुटाई।

उन्होंने दावा किया कि कंपनियां सरकारी ठेके या नीतिगत लाभ प्राप्त करने के बाद धन दान करती थीं, जांच एजेंसियों के छापों के बाद राजनीतिक चंदा लिया जाता था, कभी-कभी ठेके पहले दिए जाते थे और चंदा बाद में प्राप्त किया जाता था और फर्जी या नकली कंपनियों का इस्तेमाल धन के लेन-देन और हेराफेरी के लिए किया जाता था। उन्होंने कहा कि ये अलग मामले नहीं थे, बल्कि एक सुनियोजित प्रक्रिया का हिस्सा थे।

मुख्यमंत्री ने आगे आरोप लगाया कि हालांकि चुनावी बांड रद्द कर दिए गए हैं, लेकिन ऐसी प्रथाओं को सक्षम बनाने वाली अंतर्निहित व्यवस्था अभी भी बरकरार है। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों पर नियंत्रण, विवेकाधीन ठेका देने की शक्तियां और नियामक दबाव जारी हैं और जब तक भय एवं पक्षपात शासन के साधन बने रहेंगे, तब तक किसी भी तंत्र का उपयोग किए बिना धन का प्रवाह जारी रहेगा।

श्री सिद्दारमैया ने कहा कि इस वित्तीय प्रभुत्व का सीधा असर 2024 के लोकसभा चुनावों पर पड़ा, जिसमें एक पार्टी अभूतपूर्व संसाधनों, व्यापक मीडिया उपस्थिति और संस्थागत लाभ के साथ मैदान में उतरी, जबकि विपक्ष को गंभीर बाधाओं के बीच चुनाव लड़ना पड़ा। उन्होंने बल देकर कहा कि ऐसी परिस्थितियों में लोकतंत्र को निष्पक्ष नहीं माना जा सकता।

हालांकि, उन्होंने कहा कि धन बल के बावजूद देश की जनता ने निर्णायक फैसला सुनाया। भाजपा ने अपना बहुमत खो दिया जबकि विपक्ष ने 230 से अधिक सीटें जीतकर यह साबित कर दिया कि वित्तीय ताकत मतदाताओं की इच्छा को स्थायी रूप से दबा नहीं सकती।

उन्होंने चेतावनी दी कि भारत की चुनावी प्रणाली के लिए नए एवं ज्यादा गंभीर खतरे उभर रहे हैं, जिनमें मतदाता सूचियों में हेरफेर करने, चुनावी सुरक्षा उपायों को कमजोर करने और चुनाव आयोग की निष्पक्षता से समझौता करने के कथित प्रयास शामिल हैं। उन्होंने दावा किया कि जब धन बल पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करने में विफल रहा, तो चुनावी प्रक्रिया में धांधली करने के प्रयास तेज हो गए।

यह कहते हुए कि भारत ने गुप्त चंदे और धनबल को खारिज कर दिया है, श्री सिद्दारमैया ने कहा कि अब जिम्मेदारी हर वोट की रक्षा करने, पारदर्शिता का बचाव करने एवं लोकतंत्र की रक्षा करने में निहित है।

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