कोलकाता , नवंबर 29 -- चुनाव आयोग ने शुक्रवार रात को कोलकाता पुलिस आयुक्त मनोज वर्मा को एक नया निर्देश जारी किया है, जिसमें पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय को तत्काल प्रभाव से किसी सुरक्षित और उपयुक्त परिसर में स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया है। यह निर्देश हाल ही में सीईओ कार्यालय में हुई गंभीर सुरक्षा चूक के बाद आया है।

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि मौजूदा कार्यालय के साथ-साथ नए स्थान पर भी पूरी तरह से फुल-प्रूफ सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

तीन दिन में यह दूसरा पत्र है। सोमवार को 'बूथ लेवल ऑफिसर अधिकार रक्षा समिति' नामक एक संगठन के सदस्यों ने सीईओ कार्यालय में प्रदर्शन किया था, जिसे आयोग ने सुरक्षा की गंभीर चूक करार दिया है। ये लोग वर्तमान में चल रही मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान अत्यधिक कार्यभार का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने बिना किसी पूर्व नियुक्ति के राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज अग्रवाल से मिलने की कोशिश की।

जब सीईओ ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया, तो करीब 13 सदस्यों ने रात भर धरना देकर कार्यालय के कामकाज को बाधित कर दिया और सीईओ को आधी रात के बाद तक कार्यालय से निकलने नहीं दिया। बाद में अधिकारियों ने दावा किया कि अधिकांश प्रदर्शनकारी असली बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) नहीं थे, जिसके बाद पुलिस ने हस्तक्षेप कर प्रदर्शनकारियों को हटाया।

आयोग का मानना है कि यह घटना राज्य निर्वाचन कार्यालय की सुरक्षा में स्पष्ट चूक थी। बुधवार को चुनाव आयोग ने पुलिस आयुक्त को पहला पत्र लिखकर राज्य निर्वाचन आयुक्त, अधिकारियों और कर्मचारियों की सुरक्षा (घर और आने-जाने के रास्तों सहित) सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था तथा 48 घंटे में कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) मांगी थी। सुरक्षा में कमजोरी से असंतुष्ट होकर आयोग ने अब नवीनतम पत्र में कार्यालय को तुरंत स्थानांतरित करने और सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त करने पर जोर दिया है।

इसके अलावा, चुनाव आयोग ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सुब्रत गुप्ता को एसआईआर प्रक्रिया के लिए विशेष प्रेक्षक नियुक्त किया है तथा राज्य के 24 निर्वाचन जिलों में 12 आईएएस अधिकारियों को तैनात किया है, जो संशोधन प्रक्रिया की निगरानी करेंगे।

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