भोपाल , नवम्बर 2 -- देव प्रबोधिनी एकादशी के पावन दिवस पर मध्यप्रदेश की धरती पर भक्ति, प्रकाश और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। श्रीरामचंद्र पथ गमन न्यास द्वारा 'दीपोत्सव पर्व-2025' के तहत चित्रकूट से लेकर अमरकंटक तक प्रदेश के नौ प्रमुख स्थलों पर 3,51,111 दीपमालाओं से संपूर्ण रामपथ आलोकित हो उठा।

यह आयोजन केवल दीपों का उत्सव नहीं रहा, बल्कि श्रीराम के वनगमन मार्ग की पवित्र स्मृतियों को पुनर्जीवित करने वाला सांस्कृतिक महायज्ञ बन गया। चित्रकूट जिले के राघव प्रयाग घाट पर 1,11,111 और पंचवटी घाट पर 20 हजार दीपों की आलोकमाला से पूरा क्षेत्र जगमगा उठा। यहाँ सागर के "विभोर इंडियन फ्यूज़न बैंड" और बालाघाट की सुश्री मुस्कान चौरसिया ने श्रीराम भक्ति से ओतप्रोत भजनों की प्रस्तुति दी। अमरकंटक के रामघाट पर माँ नर्मदा की महाआरती के साथ 51,000 दीप प्रज्ज्वलित किए गए। यहाँ जबलपुर के भजन गायक श्री मनीष अग्रवाल और उनके साथियों ने भक्ति संगीत संध्या में मनमोहक प्रस्तुतियाँ दीं।

नर्मदापुरम् के प्रसिद्ध सेठानी घाट पर भी 51,000 दीपों की जगमगाहट ने श्रद्धा का वातावरण निर्मित किया। दीप म्यूज़िकल ग्रुप, भोपाल के कलाकारों ने श्रीराम भजनों की अवधी और मालवी लोकधुनों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। माँ शारदा देवी की नगरी मैहर में आल्हा तलैया के पुण्य तट पर 51,000 दीप प्रज्ज्वलित हुए। यहाँ सागर की सुश्री साक्षी पटेरिया एवं उनके साथियों ने भक्ति गीतों से श्रद्धालुओं को भक्ति में सराबोर कर दिया।

कटनी के कटायेघाट पर 15,000 दीपों से तट जगमगाया। यहाँ नर्मदापुरम् के श्री नमन तिवारी ने भजन प्रस्तुत किए। पन्ना के धरमसागर तालाब पर 11,000 दीप प्रज्ज्वलित किए गए, जहाँ सुश्री वेदिका मिश्रा एवं साथियों ने भक्तिमय गीतों से वातावरण को पवित्र किया। उमरिया के सगरा मंदिर प्रांगण में 31,000 दीप अर्पित किए गए। यहाँ कटनी के श्री सत्यम आरख एवं साथी कलाकारों ने भक्ति संगीत की प्रस्तुति दी। शहडोल के सीतामढ़ी (गंधिया) स्थित श्रीराम पथ गमन स्थल पर 5 नवम्बर को 11,000 दीप जलाकर महाआरती और भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा, जिसमें उमरिया की सुश्री बबली यादव भक्ति गीत प्रस्तुत करेंगी।

श्रीरामचंद्र पथ गमन न्यास के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री एन.पी. नामदेव ने बताया कि "यह दीपोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और सभ्यता की वह अखंड ज्योति है जो समाज में 'रामत्व' के आदर्शों को पुनः जागृत करती है। श्रीराम के पथ गमन मार्ग पर आयोजित यह आयोजन श्रद्धा और संस्कृति के एकीकरण का प्रतीक है।"गोधूलि बेला में जब एक साथ दीपों की अनगिनत ज्योतियाँ प्रज्वलित हुईं, तो माँ नर्मदा और माँ मंदाकिनी के तट भक्ति, संगीत और आराधना से गूंज उठे। भक्तों, श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भीड़ ने दीप प्रज्वलित कर प्रभु श्रीराम, माता सीता, माँ नर्मदा और माँ मंदाकिनी के चरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सभी घाटों को फूलों और रंगीन रोशनी से सजाया गया, जिससे पूरा वातावरण आलोकित और पावन हो उठा।

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