नयी दिल्ली , दिसंबर 16 -- राज्यसभा ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कुल 1.32 लाख करोड़ रुपये की अनुदान मांगों की पहली सूची और उससे संबंधित अनुदान विधेयक पर मंगलवार को चर्चा और मंत्री के जवाब के बाद ध्वनिमत से उसे यथारूप लोकसभा को लौटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
लोकसभा ने सोमवार को ही अनुपूरक अनुदान मांगों और विनियोग विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी थी।
विधेयक पर करीब तीन घंटे की चर्चा का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राजकोष को मजबूत रखने के साथ-साथ जन कल्याण तथा सामाजिक आर्थिक अवसंचना के विकास के लिए सरकार के कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि कोविड महामारी और वैश्विक चुनौतियों के बावजूद आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान 2020-21 में दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई थीं और भारत भी इससे अछूता नहीं था। कोविड न होता तो राजग के कार्यकाल में आर्थिक वृद्धि का स्तर और ऊंचा होता।
श्री चौधरी ने कहा कि संप्रग सरकार के आखिरी वर्षों में 2012-13 के दौरान भारत की गिनती 'पांच नाजुक' अर्थव्यवस्थाओं में होती थी। वहीं, देश आज 8.2 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, "देश लगातार तेजी से प्रगति कर रहा है। आम लोगों के सशक्तिकरण के साथ-साथ आर्थिक वृद्धि तेज करने पर ध्यान दिया गया है, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के साथ राजकोषीय स्थिति मजबूत हुई है। स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र तेजी से बढ़ रहा है। सूक्षम, लघु और मझौले उद्यम वृद्धि के इंजन बन चुके हैं। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है।"उन्होंने कहा कि कोविड के समय 2020-21 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 9.2 प्रतिशत तक पहुंच गया था। चालू वित्त वर्ष में इसे 4.4 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य है। यही कारण है कि विश्व में भारत की सराहना हो रही है और देश की क्रेडिट रेटिंग में सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने आने वाले वर्षों में सरकारी कर्ज को जीडीपी के एक हिस्से तक सीमित करने का लक्ष्य रखा है, बावजूद इसके आम जन के लाभ की योजनाओं के लिए धन की कमी नहीं होने दी गयी है।
उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए विपक्ष के इन आरोपों को खारिज किया कि तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों को धन देने में भेदभाव किया गया है।
श्री चौधरी ने कहा कि मोदी सरकार ने 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया था। सरकार सहकारी संघवाद को मजबूत करने में विश्वास रखती है। उन्होंने आंकड़ों के हवाले से कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए उपकरों से प्राप्त राजस्व से अधिक धन राज्यों को आवंटित किये गये हैं।
वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि देश में यूरिया की कोई कमी नहीं है। उन्होंने देश में यूरिया की कमी के बारे में कतिपय सदस्यों की चिंता का जवाब देते हुए कहा कि इस साल अक्टूबर में यूरिया उत्पादन 26.88 लाख टन रहा जो एक साल पहले इसी माह की तुलना में 1.5 लाख टन ज्यादा है। पिछले एक साल से इस उर्वरक का उत्पादन हर माह 25 लाख टन से ज्यादा रहा है।
अनुदान मागों के बारे में उन्होंने कहा कि कुल 72 मदों के लिए 1,32,268.85 लाख करोड़ रुपये की इन पहली अनुपूरक अनुदान मांगों से खजाने पर शुद्ध अतिरिक्त भार 41,455.39 करोड़ रुपये तक सीमित रहेगा। बाकी 90,812.17 करोड़ रुपये की व्यवस्था मंत्रालयों और विभागों की बचत या अनप्रयुक्त आवंटन को प्रस्तावित मदों के लिए हस्तांतरण के माध्यम से हो जायेगी।
कुल 1.32 लाख करोड़ रुपये की अनुपूरक अनुदानों में 62,446.68 करोड़ रुपये राजस्व मद में और 69,822.17 करोड़ रुपये पूंजी मद में खर्च किये जाने हैं।
कुल नकद व्यय में सबसे अधिक 18,525 करोड़ रुपये का प्रावधान उर्वरकों के मद में किया जाना है। इसमें 11,000 करोड़ रुपये उर्वरक सब्सिडी के लिए और 7,525 करोड़ रुपये यूरिया के आयात के लिए मांगे गये हैं।
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