रांची, 29अक्टूबर (वार्ता) झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों में एचआईवी संक्रमण मामले मेंविशेष सचिव डॉ. नेहा अरोड़ा के नेतृत्व वाली छह सदस्यीय टीम बुधवार को चाईबासा सदर अस्पताल पहुंची और ब्लड बैंक की जांच में संपूर्ण प्रक्रिया, रिकॉर्ड और सुविधाओं की विस्तार से जांच की।

जांच समिति को सात दिनों के भीतर राज्य सरकार को पूरी रिपोर्ट सौंपनी है ताकि मामले की तह तक पहुंचा जा सके। डॉ. नेहा अरोड़ा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि मामले में लापरवाही सामने आने के बाद आवश्यक कार्रवाई तत्काल शुरू कर दी गई है। इस संबंध में पश्चिमी सिंहभूम के सिविल सर्जन डॉ. सुशांत कुमार मांझी, ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. दिनेश सवैया और लैब तकनीशियन मनोज कुमार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की गई है। श्रीमती अरोड़ा ने जोर दिया कि बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

इस घटना के बाद राज्य सरकार ने पूरे झारखंड के ब्लड बैंकों में जांच प्रक्रिया को और अधिक सख्त करने का आदेश दिया है। अब केवल किट से जांच की अनुमति नहीं होगी, इसके स्थान पर हर ब्लड सैंपल की जांच एलाइजा टेस्ट से यानी अधिक संवेदनशील और विश्वसनीय तकनीक से अनिवार्य रूप से कराई जानी होगी।

इसके लिए सभी ब्लड बैंकों को आवश्यक टेस्टिंग मशीन, किट और प्रशिक्षित मैनपावर उपलब्ध कराए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने साफ किया है कि इस मामले में दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा, और भविष्य में राज्य में कहीं भी ऐसी लापरवाही दोबारा नहीं होने पाएगी। यह घटना न केवल प्रशासनिक चूक को उजागर करती है, बल्कि ब्लड बैंकों की निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण की मजबूती के लिए आवश्यक कदम उठाने की भी जरूरत को दर्शाती है।

इस मामले ने स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता फिर से रेखांकित कर दी है, ताकि मरीजों की जान जोखिम में न पड़े और संक्रमण को पूरी तरह रोका जा सके।

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