रायपुर , नवंबर 14 -- छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को दो अलग-अलग पत्र लिखकर प्रदेश में धान खरीदी व्यवस्था की गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।

उन्होंने कहा कि खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के लिए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी 15 नवंबर से शुरू होनी है, लेकिन पूरे प्रदेश में 2058 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों और 2739 धान उपार्जन केंद्रों के हजारों कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। केंद्रों में ताले लगे हैं और खरीदी शुरू होने में सिर्फ एक दिन शेष है, ऐसे में खरीदी प्रक्रिया तय तारीख से शुरू होती नहीं दिख रही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हड़ताल समाप्त कराने में असफल साबित हुई है।

डॉ. महंत ने कहा कि हड़ताली कर्मचारियों की चार प्रमुख मांगें उचित हैं। विगत दो वर्षों से खरीदे गए धान के समय पर निराकरण में विफलता के कारण केंद्रों में शार्टेज की स्थिति उत्पन्न हुई है। सहकारी समितियों को कमीशन राशि का भुगतान नहीं होने से कर्मचारियों को वेतन भी नहीं मिल पा रहा। उल्टे शार्टेज को लापरवाही मानकर उसकी वसूली की जा रही है और कई मामलों में एफआईआर तक दर्ज की गई है, जो अनुचित है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक धान का उठाव नहीं होने से सुखत आना स्वाभाविक है और इसके लिए कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराना गलत है।

नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि 15 नवंबर से खरीदी नहीं होने की आशंका से किसानों में गहरा असंतोष है। कटाई-मिंसाई तेजी से चल रही है और किसानों के पास धान रखने की जगह नहीं बच रही। सरकार द्वारा धान खरीदी के लिए की जा रही वैकल्पिक व्यवस्थाएं अव्यावहारिक हैं। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की मांगें मानकर खरीदी व्यवस्था सुचारू करना प्रदेश के किसानों के हित में आवश्यक है।

डॉ. महंत ने दूसरे पत्र में कहा कि धान खरीदी के कंप्यूटरीकरण के चलते प्रत्येक केंद्र में एक डॉटा एंट्री ऑपरेटर की आवश्यकता होती है। विगत वर्षों तक इन्हें 12 माह का वेतन दिया जाता था, पर 2025-26 में केवल छह माह का वेतन विपणन संघ की निधि से देने और आउटसोर्सिंग से नियुक्ति का निर्णय लिया गया है। इससे नाराज होकर सभी ऑपरेटर हड़ताल पर चले गए हैं। उनकी मांग है कि 12 माह का वेतन दिया जाए और नियमितिकरण किया जाए जो न्यायसंगत है।

उन्होंने कहा कि ये ऑपरेटर 18 वर्ष से सेवा दे रहे हैं और इनकी जरूरत पूरे वर्ष रहती है। सुविधाओं में कमी करना अन्यायपूर्ण है। धान खरीदी योजनांतर्गत केंद्र सरकार से प्रशासकीय व्यय मद में भारी राशि प्राप्ति योग्य होती है, पर राज्य सरकार सही उपयोग न कर पाने के कारण हर वर्ष 150 करोड़ से अधिक राशि लाभ से वंचित हो जाती है। यदि इस राशि का उपयोग गाइडलाइन अनुसार किया जाए तो डॉटा एंट्री ऑपरेटरों सहित अन्य कर्मचारियों के वेतन का भुगतान संभव है। उन्होंने मांग की कि हड़ताली ऑपरेटरों की मांग तत्काल पूर्ण कर हड़ताल समाप्त कराई जाए।

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