नयी दिल्ली , अक्टूबर 15 -- देश में चंदन की खेती के विकास के संबंध में गठित की गई समिति ने केंद्र और राज्य सरकारों से कानूनों में संशोधन करके इसे 'कृषि उत्पाद' की श्रेणी में शामिल करने की सिफारिश की है।
केंद्र सरकार में पूर्व वित्त सचिव रतन प्रकाश वाटल की अध्यक्षता वाली इस समिति ने बुधवार को यहां अपनी रिपोर्ट जारी की। इसकी मुख्य सिफारिश में केंद्र और राज्य सरकारों से चंदन की कटाई, परिवहन और बिक्री को आसान बनाने के उद्देश्य से खेतों में उगाए गए चंदन को 'कृषि उत्पाद' मानने के लिए मौजूदा कानूनों में बदलाव करने को कहा है । इसके लिए वन अधिनियम, 1927 में संशोधन करके खेतों में उगाए गए चंदन को 'वनोपाज की सूची' (धारा 2(4)) और 'इमारती लकड़ी' की सूची (धारा 2(6)) से छूट दी जानी चाहिए और इसे बांस के मामले में किए गए संशोधन के समान वन उत्पादों के दायरे से मुक्त करना चाहिए।
इस रिपोर्ट का यहां आयोजित एक कार्यक्रम में लोकार्पण किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन भारतीय प्लाइवुड एवं पैनल उद्योग महासंघ ने किया था।
समिति ने कहा है कि कि चंदन की खेती को तकनीकी उन्नति के माध्यम से बढ़ावा देने और विकसित करने की आवश्यकता है, जिसमें अनुसंधान और विकास संस्थानों, वन विभाग, किसानों, संगठनों और चंदन के बागान विकास में शामिल अन्य संस्थानों को शामिल किया जाए।
समिति ने यह भी कहा है कि वित्तीय संस्थाओं को इसके लिए आवश्यक संस्थागत ऋण और बीमा तंत्र सुनिश्चित करना चाहिए।
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