अमृतसर , नवंबर 15 -- गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में शनिवार को गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न हुआ।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) करमजीत सिंह के मार्गदर्शन में, 'गुरु नानक अध्ययन विभाग और राजनीति विज्ञान विभाग' के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन का विषय 'श्री गुरु तेग बहादुर जी: शहादत और नैतिक चेतना की शुरुआत' था।

कुलपति प्रो. करमजीत सिंह ने इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में तीन विशेष घोषणाएं कीं, जिनमें गुरुओं की जयंती को 'नैतिक प्रकाश दिवस' के रूप में भी मनाया जाएगा। इसके साथ ही, गुरु तेग बहादुर से संबंधित सभी सामग्री को डिजिटल रूप में विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। उन्होंने यह भी घोषणा की कि गुरु नानक देव विश्वविद्यालय 'गुरु नानक देव जी' के नाम पर स्थापित है, जिसके चलते गुरु नानक देव से संबंधित सभी लेखन को डिजिटल रूप में विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।

सम्मेलन में प्रख्यात विद्वान प्रो. एस. एस. नारंग ने कहा कि 'गुरु तेग बहादुर' एक ही समय में गुरु, तेग और बहादुर दोनों थे। गुरु तेग बहादुर जी की 'तलवार की बहादुरी' ने सिख राष्ट्र को बांधे रखा है। प्रो. नारंग ने गुरु तेग बहादुर जी की बाणी को लौकिक सत्य के रूप में सम्मान दिया, जिसे हर सुख-दुख के अवसर पर सुनाया जाता है। उन्होंने गुरु साहिब जी की शहादत का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरु साहिब एक बड़ा लक्ष्य सामने रखकर चल रहे थे।

डॉ. गुरचरणजीत सिंह लांबा ने 'निरभौ-निरवैर' और 'रबुल-आलमीन' की अवधारणाओं के बारे में भी बात की। प्रो. सुखदेव सिंह सोहल ने गुरु साहिब के जीवन को प्रस्तुत करते हुए विभिन्न स्रोतों का भी उल्लेख किया। डॉ. इंद्रजीत सिंह गोगोआनी ने गुरु साहिब की शहादत पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए अच्छाई और बुराई, धर्म और अधर्म, राज्य शक्ति और आध्यात्मिक शक्ति के बारे में बताया।

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