गांधीनगर , अक्टूबर 09 -- गुजरात में राज्यव्यापी 'विकास सप्ताह' के तहत 10 अक्टूबर को 'उद्योग साहसिक दिवस' के रूप में मनाया जायेगा जो गुजरात के औद्योगिक उत्कर्ष और नवाचार की भावना को समर्पित है।

सरकारी सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि पिछले 24 वर्षों में श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में गुजरात देश के औद्योगिक विकास इंजन के रूप में उभरा है। विशेष रूप से 2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में शुरू हुई विभिन्न पहलों ने गुजरात को भारत का प्रमुख ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब बना दिया है। पिछले 15 सालों में 24.84 प्रतिशत के सीएजीआर के साथ गुजरात ने ऑटो सेक्टर में ऊंची छलांग लगायी है।

भारत सरकार के वार्षिक औद्योगिक सर्वेक्षण (एएसआई) के अनुसार, गुजरात में मोटर वाहन, ट्रेलर और सेमी-ट्रेलर का उत्पादन वर्ष 2008-09 में लगभग 3,200 करोड़ रुपये था, जो 2022-23 में बढ़कर 71,425 करोड़ रुपये के अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, यह लगभग 22 गुना वृद्धि दर्शाता है। इस उपलब्धि ने 24.84 प्रतिशत की उल्लेखनीय वार्षिक चक्रवृद्धि वृद्धि दर (सीउजीआर) दर्ज की है, जो ऑटोमोबाइल सेक्टर में गुजरात की सफल यात्रा का प्रमाण है।

वर्ष 2014 में शुरू किये गये मेक इन इंडिया अभियान की सबसे बड़ी सफलता कहानियों में से एक गुजरात की रही है, जिसने इस दृष्टि को अटूट प्रतिबद्धता के साथ साकार किया है। वर्ष 2015-16 से 2022-23 के बीच गुजरात के मोटर वाहन, ट्रेलर और सेमी-ट्रेलर विनिर्माण क्षेत्र में 12 गुना की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है। इस अवधि में विनिर्माण उत्पादन 5,836 करोड़ रुपये से बढ़कर रिकॉर्ड 71,425 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, यह छलांग राज्य की औद्योगिक दक्षता, निवेश-अनुकूल माहौल और मजबूत औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र का सशक्त प्रमाण है। कोविड महामारी के बाद गुजरात के ऑटोमोबाइल विनिर्माण क्षेत्र ने उल्लेखनीय वापसी करते हुए सिर्फ दो वर्षों में अपना उत्पादन दोगुने से भी अधिक कर लिया। मोटर वाहन, ट्रेलर और सेमी-ट्रेलर श्रेणी के नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2020-21 के कोविड प्रभावित दौर में जहां उत्पादन 34,107 करोड़ रुपये था, वहीं 2022-23 में यह रिकॉर्ड स्तर 71,425 करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो 109 प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि को दर्शाता है।

रणनीतिक भौगोलिक स्थिति और विश्व स्तरीय बंदरगाह अवसंरचना के बल पर गुजरात ने वैश्विक ऑटोमोबाइल निर्यात में अपनी स्थिति और सुदृढ़ की है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के डीजीसीआईएस आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में राज्य ने लगभग 2,628 करोड़ रुपये के ऑटो कंपोनेंट्स/ पार्ट्स और 11,172 करोड़ रुपये मूल्य के मोटर वाहन/कारों का निर्यात किया, कुल 13,799.79 करोड़ रुपये, जो पिछले वर्ष की तुलना में 31.54 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि है।

वित्त वर्ष 2024-25 में गुजरात ने 1,77,924 मोटर वाहन/ कारें 102 देशों को निर्यात कीं, जिनमें दक्षिण अफ्रीका, जापान, सऊदी अरब, चिली, यूएई, मैक्सिको और कोलंबिया शामिल हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में 2,764 करोड़ रुपये के ऑटो कंपोनेंट्स/पार्ट्स और 8,493 करोड़ रुपये के वाहन निर्यात के मुकाबले यह वृद्धि गुजरात के वैश्विक ऑटो निर्यात क्षितिज को नयी ऊंचाई पर ले गयी है।

पिछले डेढ़ दशक में गुजरात ने ऑटोमोबाइल विनिर्माण, ऑटो कंपोनेंट्स, लॉजिस्टिक्स और रिसर्च-डेवलपमेंट में व्यापक विस्तार किया है। सुजुकी, टाटा, हीरो कॉर्प और होंडा जैसी कंपनियों के साथ साणंद और मांडल-बेचराजी विशेष निवेश क्षेत्र (एमबीएसआईआर) राज्य के प्रमुख ऑटो हब बन चुके हैं। साणंद में टाटा मोटर्स और जेबीएम जैसे दिग्गजों के साथ एक मजबूत ऑटो कंपोनेंट ईकोसिस्टम है, जबकि मांडल-बेचराजी अत्याधुनिक अवसंरचना और निर्यात-उन्मुख सुविधाओं से अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स को आकर्षित कर रहा है। ये केंद्र गुजरात को भारत की 'ऑटोमोटिव हार्टलैंड' बनाने और प्रधानमंत्री मोदी के "मेक इन इंडिया" व "मेक फॉर द वर्ल्ड" विज़न में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

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