नयी दिल्ली , अक्टूबर 22 -- भारत की समृद्ध श्वान विरासत को बढ़ावा देने के लिए एक उल्लेखनीय कदम के रूप में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) गुजरात के एकता नगर में आगामी एकता दिवस परेड के दौरान विशेष रूप से भारतीय नस्ल के श्वानों का एक अनूठा मार्चिंग दस्ता प्रस्तुत करेगा।
बुधवार को एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस कार्यक्रम में एक विशेष श्वान प्रशिक्षण प्रदर्शन भी आयोजित किया जाएगा जिसमें इन देशी नस्लों के सामरिक कौशल, अनुशासन और परिचालन कौशल का प्रदर्शन किया जाएगा जो देश के गौरवशाली एवं आत्मनिर्भर के9 बल का एक जीवंत प्रतीक है। देशी भारतीय नस्लों को लंबे समय से उनके साहस, वफ़ादारी एवं शक्ति के लिए जाना जाता रहा है। राज दरबारों एवं युद्धक्षेत्रों में उनकी उपस्थिति, भारत की सैन्य एवं सांस्कृतिक विरासत में व्याप्त मानव एवं श्वान के बीच के गहरे संबंधों को दर्शाती है।
बयान में कहा गया कि बीएसएफ ने दो प्रसिद्ध देशी श्वानों की नस्लों रामपुर हाउंड और मुधोल हाउंड को अपनी के9 इकाइयों में शामिल करके महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अपनी चपलता, सहनशक्ति, अनुकूलता एवं लचीलेपन के लिए प्रसिद्ध ये देशी नस्लें भारत की विविध भू-जलवायु परिस्थितियों के लिए बहुत उपयुक्त हैं। इनकी प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता, कम रखरखाव एवं कठोरता इन्हें देश की सीमाओं पर बीएसएफ द्वारा निभाई जाने वाली चुनौतीपूर्ण परिचालन भूमिकाओं के लिए आदर्श बनाती है। अनेक देशी नस्लों में से रामपुर हाउंड एवं मुधोल हाउंड अपने ऐतिहासिक महत्व और अच्छी कार्य क्षमता के कारण विशिष्ट माने जाते हैं।
उत्तर प्रदेश के रामपुर रियासत से उत्पन्न रामपुर हाउंड नस्ल को ऐतिहासिक रूप से नवाबों द्वारा सियारों एवं बड़े जानवरों के शिकार के लिए पाला जाता था। यह नस्ल अपनी तेज गति, सहनशक्ति एवं निडरता के लिए प्रसिद्ध है।
दक्कन पठार का मूल निवासी मुधोल हाउंड पारंपरिक रूप से पहरेदारी एवं शिकार के लिए प्रसिद्ध है। स्थानीय वृत्तांतों के अनुसार, इसी तरह के हाउंड मराठा सेना से जुड़े हुए थे जिन्हें उनकी सतर्कता एवं वफ़ादारी के लिए महत्व दिया जाता है। बाद में मुधोल के राजा मालोजीराव घोरपड़े ने इस नस्ल को पुनर्जीवित एवं परिष्कृत किया और इसे अंग्रेजों के सामने "कारवां हाउंड" के रूप में पेश किया।
बीएसएफ न केवल टेकनपुर स्थित राष्ट्रीय श्वान प्रशिक्षण केंद्र में इन देशी नस्लों के श्वानों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है बल्कि एनटीसीडी और विभिन्न क्षेत्रीय संरचनाओं में प्रजनन एवं प्रसार में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इस पहल का विस्तार सहायक के9 प्रशिक्षण केंद्रों तक हो चुका है जिससे पूरे बल में भारतीय नस्ल के श्वानों का बड़े पैमाने पर विकास और तैनाती सुनिश्चित हो रही है।
वर्तमान में 150 से ज़्यादा भारतीय नस्ल के श्वानों को पश्चिमी एवं पूर्वी सीमाओं सहित कई अभियानों में और नक्सल-विरोधी अभियानों में तैनात किया गया है, जहाँ उन्होंने अच्छे परिणाम प्राप्त किए हैं। उनके सराहनीय प्रदर्शन के कारण ही भारतीय नस्लों को महत्वपूर्ण सुरक्षा एवं अभियान भूमिकाओं में शामिल करने का निर्णय लिया गया।
इस यात्रा में एक ऐतिहासिक क्षण लखनऊ में आयोजित अखिल भारतीय पुलिस ड्यूटी संगोष्ठी 2024 के दौरान आया जहां बीएसएफ की "रिया", एक मुधोल हाउंड, ने 116 विदेशी नस्ल के प्रतियोगियों को पछाड़ते हुए, बेस्ट इन ट्रैकर ट्रेड और आयोजन में सर्वश्रेष्ठ श्वान का खिताब जीतने वाली भारतीय नस्ल की पहली श्वान बनकर इतिहास रचा।
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