लखनऊ , अक्टूबर 1 -- गैंगरेप के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे समाजवादी सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति पर मंगलवार शाम को जिला जेल में हुए हमले को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा है कि भूतपूर्व विधायक व उप्र सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति पर जेल में हुए जानलेवा हमले की निष्पक्ष न्यायिक जांच होनी चाहिए। उप्र में कहीं भी, कोई भी सुरक्षित नहीं है।
गौरतलब है कि मंगलवार की शाम करीब साढ़े छह बजे गायत्री प्रजापति ने अस्पताल में साफ सफाई करने वाला बंदी विश्वास को पानी देने के लिये बुलाया था।बंदी को पानी लाने में कुछ देरी होने पर गायत्री ने कुछ कह दिया।जिसको लेकर मंत्री से उसकी बहस हो गई।जिससे नाराज होकर बंदी विश्वास ने मेज की दराज से एक छोटी लोहे की रॉड निकाल कर उसने गायत्री के सिर में ताबड़तोड़ कई वार कर दिए। हमले में घायल पूर्व मंत्री सिर पकड़ कर बैठ गए।अस्पताल के ही अन्य बंदियों ने उसे पकड़ लिया। जेलकर्मियों ने तत्काल जेल अधिकारियों घटना की जानकारी दी।
जेल के अंदर अस्पताल में मौजूद डॉक्टर ने गायत्री सिर पर लगे खून को साफ करने के साथ ही छह टाँके लगाने के साथ ही मरहम पट्टी की।जेल अस्पताल के डॉक्टर ने बेहतर इलाज के लिए उन्हें जिला चिकित्सालय में भर्ती कराने की सलाह दी। बाद में कड़ी सुरक्षा के बीच रात्रि में 12 बजे के करीब उन्हें जिला जेल से केजीएमयू ट्रामा सेंटर पहुंचाया गया। जहां पर उनका उपचार चल रहा है।
अपने ऊपर हमले को लेकर गायत्री सात प्रजापति ने बताया कि विश्वास नाम के कैदी ने उन पर हमला किया। उन्होंने बताया कि उन पर हमला अकारण किया गया।उन्होंने कहा कि जेल के अंदर उन्हें कोई खतरा नहीं है। देर रात अमेठी से समाजवादी पार्टी की विधायक महाराजी प्रजापति केजीएमयू पहुंचीं। केजीएमयू पहुचने के बाद महराजी देवी ने कहा कि जेल के अंदर उनके पति को खतरा है। सरकार से बेल की मांग की है। साथ ही घटना के जांच की मांग की है।
पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के केजीएमयू में भर्ती होने पर उनकी बेटी अंकिता प्रजापति ने कहा कि उनकी तबीयत अभी ठीक नहीं है। वे इमरजेंसी में हैं। मेरे पिता के साथ बहुत अन्याय हुआ है। निर्दोष होने के बावजूद वे साढ़े आठ साल से जेल में हैं और उन पर जान से मारने की नीयत से हमला किया जा रहा है। वे बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं। मैं मुख्यमंत्री से अनुरोध करती हूं कि वे हमें बुलाएं, हमसे मिलें और हमारी बात सुनें। मैं न्यायपालिका से न्याय की उम्मीद और मांग करती हूं।
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