भोपाल , अक्टूबर 27 -- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश देश का दिल है। जिस प्रकार हृदय शरीर के रक्त को शुद्ध कर हमारी आयु बढ़ाता है, उसी प्रकार गायत्री परिवार समाज-संस्कृति-संस्कारों को पुष्पित-पल्लवित कर नई ऊर्जा का संचार कर रहा है। प्रांतीय युवा चिंतन शिविर के माध्यम से आत्म निर्माण, राष्ट्र निर्माण और युग निर्माण की गतिविधियां देश के दिल में बसे मध्यप्रदेश से संचालित हो रही हैं। यह प्रदेश के लिए गर्व का विषय है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव सोमवार को शारदा विहार विद्यालय में आयोजित अखिल विश्व गायत्री परिवार के तीन दिवसीय प्रांतीय युवा चिंतन शिविर के शुभारंभ-सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
डॉ. यादव ने कहा कि देश को आजादी तो वर्ष 1947 में मिल गई थी, परंतु युवाओं को वैचारिक दृष्टि प्रदान करने के लिए डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। संघ के शताब्दी वर्ष के इस दौर में पंडित मदन मोहन मालवीय, बाल गंगाधर तिलक और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे महापुरुषों के योगदान को स्मरण करना भी आवश्यक है, जिन्होंने युवाओं को राष्ट्रनिर्माण की दिशा दिखाई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बदलते दौर में भारतीय संस्कृति के सामने चुनौतियां हैं, परंतु गायत्री परिवार की अखंड ज्योति आज भी भारत और विश्व में प्रज्ज्वलित है। गायत्री परिवार 'सर्वे भवंतु सुखिनः' की सनातन भावना के साथ मानवता की सेवा को धर्म मानकर शिक्षा, स्वास्थ्य, नारी उत्थान, पर्यावरण, ग्राम विकास और नशा मुक्ति जैसे क्षेत्रों में राष्ट्र निर्माण का कार्य कर रहा है।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लागू नई शिक्षा नीति 2020 में सनातन संस्कृति और सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने वाले अध्याय जोड़े गए हैं। राज्य सरकार ने भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के जीवन प्रसंगों को भी पाठ्यक्रमों में शामिल किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गायत्री परिवार ने विवाह सहित सभी संस्कारों की पद्धति को सरल और ग्राह्य भाषा में कराने की प्रक्रिया आरंभ की, जिससे जनसामान्य को संस्कारों का महत्व समझने में मदद मिली। राज्य सरकार द्वारा वैदिक पद्धति से काल गणना के लिए वैदिक घड़ी तैयार की गई है और भारतीय ज्ञान परंपरा के अन्य विषयों पर भी कार्य जारी है।
गायत्री परिवार के डॉ. चिन्मय पंड्या ने कहा कि अखिल विश्व गायत्री परिवार कोई संस्था नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन और विचारधारा है। पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने गायत्री मंत्र को जीवन की दिशा बनाया और सिखाया कि युग परिवर्तन व्यक्ति के भीतर से शुरू होता है। जब व्यक्ति सुधरता है तो परिवार, समाज और राष्ट्र भी बदलते हैं। माताजी भगवती देवी शर्मा ने इस विचार को मातृत्व का स्वर और सेवा को साधना का रूप दिया।
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