रायपुर , अक्टूबर 21 -- ) छत्तीसगढ के रायपुर में परंपरा, आस्था और उल्लास का संगम मंगलवार तड़के गांवों में देखने को मिला, जब राज्य के पारंपरिक पर्वों में से एक गौरा-गौरी उत्सव की शुरुआत हुई और इस अवसर पर भक्तिमय माहौल में शोभायात्रा निकाली गई। ढोल-नगाड़ों की थाप और जयकारों से प्रदेश का पूरा ग्रामीण अंचल झूम उठा।

राज्य की राजधानी में आज सुबह लगभग चार बजे से ही ग्रामीण इलाकों में गौरा-गौरी की शोभायात्रा का शुभारंभ हुआ। यात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया। आकर्षक झांकियों, पारंपरिक परिधानों और बाजे-गाजे के साथ यात्रा निकाली गई। गांव की गलियों में "जय गौरी माता" के जयकारे गूंजते रहे और पूरा वातावरण भक्तिमय बन गया।

युवाओं ने पारंपरिक रिवाजों के तहत सोटा पिटवाकर प्रदेश में सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। वहीं, युवतियों ने पारंपरिक 'सुआ नृत्य' प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। गांव के प्रत्येक मोहल्ले में ग्रामीणों की भारी भीड़ उमड़ी और धार्मिक आयोजन में पूरे उल्लास के साथ भाग लिया। लोकगीतों और नगाड़ों की गूंज से गांव का माहौल पूरी तरह आस्थामय हो गया। गौरा-गौरी उत्सव के अवसर पर गांव का हर कोना सजा-धजा नजर आया। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी ने श्रद्धाभाव से भाग लेकर परंपरा को जीवंत किया।

छत्तीसगढ़ में गौरी-गौरा पूजा एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है, जो शिव-पार्वती के विवाह की पौराणिक कथा से प्रेरित है। इस पर्व को विशेष रूप से गोंड (आदिवासी) समुदाय धूमधाम से मनाता है, उनके साथ अब सभी समाज के लोग शामिल होने लगे हैं।

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