नयी दिल्ली, सितम्बर 30 -- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि गन्ना और गन्ना किसानों को कैसे ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचे और उनके हित के लिए किस तरह की नीति हो इसके बारे में शोध के वास्ते भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) में अलग टीम का गठन किया जाएगा।

श्री चौहान ने मंगलवार को यहां अर्थव्यवस्था पर एक राष्ट्रीय परामर्श सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि गन्ने की 238 किस्में में चीनी की मात्रा अच्छी निकली है लेकिन इसमें रेड रॉट की समस्या आ रही है। इसमें यह भी विचार करने की जरूरत है कि एक किस्म कितने साल चलेगी और साथ-साथ गन्ने की दूसरी किस्म पर भी काम करते रहना पड़ेगा। उनका कहना था कि महत्वपूर्ण, रोगों का मुकाबला है क्योंकि नई किस्म आती है तो रोग भी आते हैं।

कृषि मंत्री ने कहा कि मोनोक्रॉपिंग तरह-तरह के रोगों को निमंत्रण देता है। इससे जहां नाइट्रोजन स्थिरीकरण की समस्या भी पैदा होती है वहीं फसल पोषक तत्वों को भी कम करती है। उन्होंने यह भी कहा कि यह देखा जाना चाहिए कि मोनोक्रॉपिंग (एकल फसल) की जगह इंटरक्रॉपिंग (अंतराफसलीकरण) कितनी व्यावहारिक है। गन्ना किसानों की समस्याओं से सब परिचित हैं इसलिए उत्पादन बढ़ाने पर जोर देने की जरूरत है। किसानों की मदद के लिए लागत घटाने तथा चीनी की रिकवरी ज्यादा करने के साथ ही पानी के इस्तेमाल को कम की भी आवश्यकता है और इस बारे में भी काम करने की जरूरत हैं। इसके लिए 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप' सोच का आधार होना चाहिए। इसमें यह भी देखना होगा कि ड्रिप बिछाने के लिए ज्यादा पैसे चाहिए तो क्या किसान उतना खर्च कर सकेगा।

श्री चौहान ने कहा कि जैव उत्पादक और अधिक उपयोगी कैसे हो सकती है इस पर विचार करना चाहिए। उनका यह भी कहना था कि एथेनॉल का अपना महत्व है और मोलासेस की अपनी उपयोगिता है लेकिन इन दोनों की मदद से अन्य कौन से उत्पाद बन सकते हैं जिनसे किसानों का लाभ बढ़े और उनको इस काम में फायदा हो। उनका कहना था कि वेल्यू चैन की किसानों की शिकायत व्यावहारिक है। किसानों को गन्ने का भुगतान देरी में होता है इस पर भी गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।

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