चंडीगढ़ , अक्टूबर 24 -- पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा के गन्ना किसानों की हालत पर गहरी चिंता व्यक्त की है।

श्री हुड्डा ने यहां जारी एक बयान में कहा कि राज्य के गन्ना किसान लगातार अपनी जायज मांगों के लिए आंदोलनरत हैं, लेकिन सरकार की उदासीनता उनके जख्मों पर नमक छिड़क रही है। किसानों और कांग्रेस ने बार-बार मांग की है कि गन्ने का भाव कम से कम 500 रुपये प्रति क्विंटल किया जाये और मिलों द्वारा किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाये।

उन्होंने बताया कि गन्ना उत्पादन में श्रमिक, बीज, खाद, बुआई और कटाई जैसी लागतें तेजी से बढ़ी हैं। इसके अलावा, भाजपा सरकार के दौरान पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि ने परिवहन खर्च को दोगुना-ढाई गुना कर दिया है। आंकड़ों के अनुसार, उत्पादन लागत में पिछले दशक में 200 से 250 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है, जबकि भाजपा सरकार ने गन्ने की दरों में केवल नाममात्र 15 रुपये की बढ़ोतरी की है।

उन्होंने कहा कि सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए गन्ना का दाम कम से कम 600 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। यह किसानों के लिए न्यूनतम न्याय होगा, अन्यथा वे आर्थिक संकट में डूब जायेंगे। विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार दावा करती है कि सभी 24 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिया जा रहा है, जबकि हरियाणा में इतनी फसलें होती ही नहीं हैं। जो फसलें होती हैं, उन्हें पैदा करने वाले किसान एमएसपी से भी वंचित हैं। उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर खरीफ सीजन की प्रमुख फसलें, धान, बाजरा, कपास और मूंग, न्यूनतम समर्थन मूल्य से कई सौ रुपये कम रेट पर बिक रही हैं, और सरकार आंखें मूंदे बैठी हैं। यही हाल रबी फसलों का भी रहा है।

श्री हुड्डा ने भाजपा सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा घोषित फेयर एंड रेम्युनरेटिव प्राइस (एफआरपी) केवल 355 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि हरियाणा सरकार ने राज्य समर्थन मूल्य (एसएपी) में कोई उल्लेखनीय बढ़ोतरी नहीं की है। किसान संगठनों की मांगों के बावजूद सरकार ने केवल मामूली बढ़ोतरी की, जो किसानों के साथ एक 'क्रूर मजाक' के समान है। पिछले कुछ वर्षों में मिलों द्वारा भुगतान में देरी से किसानों को अरबों रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि 2005 से 2014 तक के साढ़े नौ वर्षों में कांग्रेस सरकार ने गन्ना खरीद दर को 117 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 310 रुपये प्रति क्विंटल किया था, यानी करीब तीन गुना वृद्धि। यह लगभग 165 प्रतिशत की बढ़ोतरी है, जो औसतन 17 प्रतिशत प्रति वर्ष बनती है, वहीं, भाजपा के 2014 से अब तक के 11 वर्षों में दर केवल 310 से 415 रुपये तक बढ़ायी गयी, यानी कुल 33 प्रतिशत, जो प्रति वर्ष मात्र तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी है। यह वृद्धि बढ़ती लागत के मुकाबले नगण्य है।

श्री हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने हमेशा किसान हित को प्राथमिकता दी, जिसके परिणामस्वरूप हरियाणा गन्ना उत्पादन में अग्रणी राज्य बना, लेकिन भाजपा शासन में किसान कर्ज के बोझ और आर्थिक तंगी के कारण गन्ने की खेती छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।

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