देहरादून , अक्टूबर 29 -- देवभूमि उत्तराखंड की लोक भाषाओं गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से जोड़ने की दिशा में अमेरिका की धरती से एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। "भाषा डेटा कलेक्शन पोर्टल" का भव्य शुभारंभ अमेरिका के सिएटल और कनाडा के सरे-वैंकूवर में किया गया।

इस ऐतिहासिक पोर्टल का शुभारंभ शुक्रवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के वीडियो संदेश के माध्यम से हुआ। उन्होंने इस पहल को "उत्तराखंड की सांस्कृतिक अस्मिता को डिजिटल युग से जोड़ने वाला युगांतकारी प्रयास" बताया और अमेरिका व कनाडा में रहने वाले उत्तराखंडी प्रवासियों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ दीं।

श्री धामी ने अपने वीडियो संदेश में कहा, "जब तक हमारी भाषा जीवित है, हमारी संस्कृति जीवित है।

उत्तराखंड सरकार सदैव अपनी मातृ भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए तत्पर है और इस ऐतिहासिक पहल में पूर्ण सहयोग करेगी।" उन्होंने कहा कि इस पोर्टल के माध्यम से गढ़वाली, कुमाऊँनी और जौनसारी भाषाओं के लगभग 10 लाख (1 मिलियन) शब्द, वाक्य, कहावतें, और कहानियाँ एकत्र की जाएँगी, ताकि एआई प्लेटफ़ॉर्म इनसे सीखकर भविष्य में हमारी भाषाओं में संवाद कर सकें।

यह ऐतिहासिक लॉन्च देवभूमि उत्तराखंड कल्चरल सोसाइटी, कनाडा द्वारा आयोजित भव्य कार्यक्रम में हुआ। जिसमें लगभग चार हजार से अधिक प्रवासी उत्तराखंडी भाई-बहन उपस्थित रहे।

पद्मश्री प्रीतम भरतवाण ने कर्णप्रयाग (बद्रीनाथ क्षेत्र) से ऑनलाइन जुड़कर अपने संदेश में कहा, "जब तक हमारी भाषा जीवित है, हमारी संस्कृति और हमारी पहचान जीवित है। भाषा बचेगी तो संस्कार भी बचेंगे।" उन्होंने इस पहल को ऐतिहासिक बताते हुए अपनी जागर एवं ढोल सागर अकादमी की ओर से निरंतर सहयोग देने की घोषणा की।

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