खैरागढ़ , नवंबर 26 -- छत्तीसगढ़ शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति-2025 और सुरक्षा बलों की सतत रणनीति का बड़ा असर सामने आया है। खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले में बुधवार को पुलिस के समक्ष 20 लाख रुपये के एक इनामी नक्सली दंपत्ति ने आत्मसमर्पण किया। दोनों ने हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।
पुलिस के अनुसार, माओवादी संगठन के माड डिवीजन, बस्तर एवं एमएमसी (मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़) जोन में सक्रिय इनामी नक्सली दंपत्ति कई नक्सली वारदातों में शामिल रहा है। आत्मसमर्पण करने वालों में 7 लाख रुपये के इनामी हार्डकोर नक्सली युवक 'मुन्ना' (उम्र 25 वर्ष) तथा छह लाख रुपये की इनामी महिला नक्सली 'जूली' (उम्र 25 वर्ष) शामिल हैं।
शासन और सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे विकास कार्य, सड़क व संचार सुविधाओं का विस्तार, पानी-बिजली-नेटवर्क उपलब्धता और सामुदायिक पुलिसिंग की पहल से नक्सल प्रभावित इलाकों में भरोसा बढ़ा है। इन्हीं प्रयासों से प्रेरित होकर दंपत्ति नक्सली गतिविधियों को त्यागकर शांतिपूर्ण जीवन अपनाने आगे आए हैं।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिले में लगातार चल रहे सुरक्षा अभियानों, ग्रामीण अंचलों में विकास कार्यों और स्थानीय पुलिस की जनसंपर्क गतिविधियों के कारण नक्सली प्रभाव क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन दिख रहा है।
दोनों के विरुद्ध गंभीर नक्सली मामलों में संलिप्तता पाई गई थी, लेकिन शासन की पुनर्वास नीति के तहत उन्हें मुख्यधारा में जीवनयापन हेतु सभी वैधानिक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी।
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