नयी दिल्ली , दिसंबर 27 -- भारतीय महिलाओं ने क्रिकेट, हॉकी, डेफलिंपिक्स, पैरा खेलों तथा अन्य वैश्विक मंच के खेलों में कई ऐतिहासिक उपलब्धियों के साथ 2025 का समापन किया।
एकदिवसीय क्रिकेट, शतरंज और मुक्केबाजी में विश्व खिताब से लेकर हॉकी में महाद्वीपीय सफलता और ब्लाइंड महिला क्रिकेट में एक ऐतिहासिक पहली उपलब्धि तक, भारतीय महिला खिलाड़ियों ने न केवल पदक जीते बल्कि देश भर में महिलाओं के खेल के दायरे और पहचान का भी विस्तार किया।
इस वर्ष आखिर में हरमनप्रीत कौर की अगुवाई वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर अपना पहला आईसीसी महिला एकदिवसीय विश्व कप खिताब जीता। देश में इस खेल के लिए यह एक निर्णायक क्षण था। व्यक्तिगत तौर पर, स्मृति मंधाना ने अंतरराष्ट्रीय टी-20 में चार हजार रन बनाने के लैंडमार्क पार किया, ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय महिला बनीं और इससे भारतीय महिला क्रिकेट में बढ़ती गहराई, निरंतरता और पेशेवर प्रवृति को देखी गई। इसके अलावा भारतीय दृष्टिबाधित महिला टीम ने कोलंबो में खेले गये पहले ब्लाइंड महिला टी-20 विश्व कप में नेपाल को सात विकेट से हराकर खिताब अपने नाम किया। दीपिका टीसी की अगुवाई में भारतीय दृष्टिबाधित टीम ने छह देशों नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, आस्ट्रेलिया और अमेरिका के खिलाफ दमदार प्रदर्शन किया और 23 नवंबर को कोलंबो में खेले गए फाइनल में शानदार जीत दर्ज की।
भारतीय महिला टीम की स्टार ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा ने श्रीलंका के खिलाफ तीसरे टी-20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए कई रिकॉर्ड अपने नाम किए। इस मैच में उन्होंने महिला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे अधिक विकेट लेने वाली तीसरी खिलाड़ी बनने की उपलब्धि के साथ इसी प्रारूप में एक हजार रन और 150 विकेट का डबल पूरा करने का भी कारनामा किया। वह इस प्रारुप में (महिला, पुरुष) दोनों में यह कारनामा करने वाली पहली भारतीय क्रिकेटर है।
इस साल की सबसे बड़ी व्यक्तिगत उपलब्धियों में से एक शतरंज में मिली, जहां दिव्या देशमुख ने जुलाई में फिडे महिला विश्व कप जीतकर इतिहास रचते हुए यह प्रतिष्ठित वैश्विक खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। उनकी जीत ने विश्व शतरंज में भारत के बढ़ते दबदबे को फिर से साबित किया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाली महिला खिलाड़ियों की नई पीढ़ी के उदय को भी दिखाया।
भारतीय महिला मुक्केबाजों ने विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप 2025 में अपना दबदबा बनाए रखा और कई पदक जीते। जैस्मीन लंबोरिया और मीनाक्षी हुड्डा ने अपने-अपने भार वर्ग में स्वर्ण पदक, नूपुर श्योरण ने रजत और पूजा रानी ने भारत की झोली में एक कांस्य पदक डाला। दो बार की विश्व चैंपियन निकहत जरीन ने एक और सफल अंतरराष्ट्रीय सीजन में अपनी निरंतरता बनाए रखी। जिससे अलग-अलग भार वर्ग में महिला मुक्केबाजी में भारत की गहराई और ताकत और मजबूत हुई।
ज्योति याराजी ने एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में महिलाओं की 100 मीटर बाधा दौड़ में स्वर्ण जीतकर एक शानदार प्रदर्शन किया, जिससे वह एशिया की शीर्ष बाधा दौड़ खिलाड़ियों में से एक बन गईं। रूपल चौधरी ने महिलाओं की 400 मीटर दौड़ में रजत जीतकर भारत के पदकों की संख्या बढ़ाई, और फिर स्वर्ण जीतने वाली चार गुणा 400 मीटर रिले टीम में भी अहम भूमिका निभाई। यह ट्रैक स्पर्धा में भारत के बढ़ते प्रभाव और प्रतिस्पर्धा को दिखाता है।
तीरंदाजी और निशानेबाजी में भी इस साल अच्छे नतीजे मिले। ज्योति सुरेखा वेन्नम ने कंपाउंड कैटेगरी में तीरंदाजी विश्व कप फाइनल में कांस्य पदक जीता, जो इस बड़े सीजन की आखिरी प्रतियोगिता में भारत के लिए पहली बार था। निशानेबाजी में तेजस्विनी ने आईएसएसएफ जूनियर विश्व कप में महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल में स्वर्ण जीता, जो सटीक खेलों में भारत की उभरती प्रतिभाओं की ताकत को दिखाता है।
टीम खेलों में, महिला हॉकी ने महाद्वीप में एक मजबूत अभियान चलाया। भारतीय महिला हॉकी टीम ने हांगझोऊ में महिला एशिया कप 2025 में रजत पदक जीता। भारतीय टीम फाइनल में मेजबान चीन से 1-4 से हारने के बाद दूसरे स्थान पर रही। नवनीत कौर ने खिताबी मुकाबले के पहले ही मिनट में भारत के लिए गोल किया, जबकि ओउ जिक्सिया, ली होंग, ज़ू मेइरोंग और झोंग जियाकी के गोल ने घरेलू टीम के लिए चैंपियनशिप पक्की कर दी। टूर्नामेंट में पहले की शानदार जीत सहित भारत के कुल प्रदर्शन ने एशिया की टॉप महिला हॉकी टीमों में अपनी स्थिति को फिर से मजबूत किया।
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