भोपाल , नवंबर 22 -- मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) मध्यप्रदेश इकाई ने खाद संकट, मंडियों में हो रही लूट और किसानों की उपज के औने-पौने दाम पर खरीदी को लेकर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा कि भाजपा की मोहन यादव सरकार न सिर्फ किसानों की लूट से बेखबर है, बल्कि लूट करने वाले गिरोह का हिस्सा बन चुकी है। यह पूरा खेल सरकार, प्रशासन, कालाबाजारियों और बिचौलियों की मिलीभगत से संचालित हो रहा है।

माकपा नेता ने कहा कि एक ओर किसान खाद की कमी, कालाबाजारी और नकली खाद की समस्या से जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मंडियों में उनकी फसल को औने-पौने दामों में खरीदकर उन्हें लूटा जा रहा है। धान का समर्थन मूल्य 2369 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन किसान मजबूरी में अपनी उपज 1600 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल में बेच रहे हैं। इस प्रकार प्रति क्विंटल 400 से 800 रुपये तक की सीधी लूट हो रही है।

इसी तरह बाजरा का समर्थन मूल्य 2775 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि मंडियों में इसकी कीमत 2100 रुपये से अधिक नहीं मिल रही, जिससे किसानों को प्रति क्विंटल करीब 675 रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। यही स्थिति मक्का और कपास किसानों की भी है।

जसविंदर सिंह ने कहा कि सोयाबीन पर भावान्तर लागू कर सरकार ने "अडानी की लूट" को बढ़ावा दिया है। यह योजना किसानों को राहत देने के लिए नहीं, बल्कि कॉर्पोरेट हित साधने के लिए लागू की गई है। अन्य फसलों पर भावान्तर की घोषणा न करना भी इसका प्रमाण है।

माकपा ने स्पष्ट किया है कि वह भावान्तर योजना के खिलाफ है। पार्टी की मांग है कि सरकार सोयाबीन सहित सभी फसलों की एमएसपी सुनिश्चित करे और निर्धारित एमएसपी से कम दाम पर खरीद करने वाले व्यापारियों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाएं।

पार्टी ने किसानों से अपील की है कि वे इस लूट के खिलाफ एकजुट होकर आवाज बुलंद करें।

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