जयपुर , अक्टूबर 05 -- केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव नेखांसी की दवा के गुणवत्ता के मामले में राजस्थान में किए गए उपायों को अन्य राज्यों में भी अपनाने के निर्देशदिए हैं।

देश के विभिन्न राज्यों में खांसी की सीरप की गुणवत्ता का मामला सामने आने के बाद सुश्री श्रीवास्तव द्वारा रविवार को विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में उन्होंने राजस्थान द्वारा इस संबंध में उठाए गए कदमों का विशेष रूप से उल्लेखन करते हुए अन्य राज्यों में इन उपायों को अपनाए जाने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने कहा कि बारिश का दौर थमने के बाद सामान्य रूप से हर बार खांसी, जुकाम, बुखार आदि के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। देशभर में इस तरह के मामले अभी ज्यादा सामने आ रहे हैं। इस स्थिति में आमजन में चिकित्सकीय परामर्श एवं दवाओं के उपयोग के संबंध में व्यापक जागरूकता होना जरूरी है ताकि किसी के जीवन को खतरा नहीं हो। उन्होंने कहा कि राजस्थान ने खांसी की दवा की गुणवत्ता का प्रकरण सामने आने के बाद तत्परता के साथ बचाव के जरूरी कदम उठाए हैं।

सुश्री श्रीवास्तव ने कहा कि अन्य राज्यों में राजस्थान की तरह आमजन को जागरूक करने के लिए आवश्यक उपाय सुनिश्चित किये जाये। उन्होंने कहा कि राजस्थान में आशा, एएनएम एवं सीएचओ के माध्यम से डोर टू डोर सर्वे करते हुए आमजन को विभिन्न बीमारियों से बचाव एवं दवाओं के उपयोग को लेकर जागरूक करना, खांसी की दवाओं के उपयोग को नियंत्रित करना, दवा के नमूने लेकर जांच करवाना, टेक्निकल कमेटी का गठन कर मामले की जांच करना, विशेषज्ञ चिकित्सकों से भी इस प्रकरण में आवश्यक सलाह प्राप्त कर आवश्यक उपाय अपनाने जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं।

उन्होंने ऐसी दवाएं जिनसे बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को खतरा हो सकता है, उन पर विशेष रूप से चेतावनी अंकित करने के राजस्थान सरकार के निर्णय को सराहा और अन्य राज्यों में भी ऐसे कदम उठाने पर जोर दिया।

बैठक में राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने बताया कि खांसी की दवा की गुणवत्ता का प्रकरण सामने आते ही विभाग द्वारा इस दवा के सभी बैचों के उपयोग एवं वितरण पर रोक लगा दी थी। दवाओं के उपयोग को लेकर एडवाइजरी जारी कर व्यापक स्तर पर जागरूकता के लिए कदम भी उठाए जा रहे हैं। दवाएं लिखने एवं उपयोग को लेकर चिकित्सक, फार्मासिस्ट एवं आमजन की वृहद स्तर पर काउंसलिंग की जा रही है। खांसी की सीरप के उपयोग के स्थान पर अन्य वैकल्पिक उपायों से उपचार पर जोर दिया जा रहा है।

श्रीमती राठौड़ ने बताया कि मौसमी बीमारियों के दृष्टिगत प्रदेश में सीएचओ, एएनएम एवं आशा के माध्यम से डोर टू डोर सर्वे किया जा रहा है। इस सर्वे के दौरान खांसी, जुकाम एवं बुखार के लक्षण वाले रोगियों को चिह्नित करने के साथ ही आमजन को आईईसी गतिविधियों के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है कि वे किसी भी तरह की बीमारी के मामले में घर पर रखी किसी दवा का उपयोग नहीं करें। नजदीकी चिकित्सा संस्थान जाकर चिकित्सक से परामर्श लें एवं चिकित्सकीय सलाह के अनुसार ही दवाओं का सेवन करें। विशेषरूप से बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को बिना चिकित्सक के परामर्श के कोई दवा नहीं दें। घर में रखी दवाओं को बच्चों की पहुंच से दूर रखें।

उन्होंने बताया कि दवाओं के उपयोग, बच्चों में सामने आ रहे लक्षणों एवं विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जांच करने के लिए तकनीकी समिति भी गठित कर दी है। यह समिति बच्चों में सामने आ रहे लक्षणों, उन्हें दिए जा रहे उपचार सहित विभिन्न पक्षों पर जांच एवं अनुसंधान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के नामी शिशु रोग विशेषज्ञों एवं अन्य विशेषज्ञों से भी इस प्रकरण को लेकर चर्चा की जा रही है। कई विशेषज्ञों ने अवगत भी कराया है कि इस मौसम में बच्चों में कई बार दिमागी बुखार, निमोनिया, सांस में तकलीफ जैसे मामले सामने आते हैं, जिनसे बच्चों की मौत हो जाती है। हमारा प्रयास है कि बच्चों की मौत के वास्तविक कारणों का पता लगाया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं हो और बचाव के लिए आवश्यक उपाय सुनिश्चित किए जा सकें।

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