नैनीताल , नवंबर 24 -- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश की खनिज भंडारण से जुड़ी संशोधित नियमावली, 2024 को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए खनन सचिव समेत सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

उधमसिंह निवासी रमेश काम्बोज की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश जी0 नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने सुनवाई की।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदेश सरकार ने 18 सितंबर, 2024 को एक अधिसूचना जारी कर उत्तराखंड खनिज (अवैध खनन, परिवहन, भंडारण का निवारण) नियमावली में चौथी बार संशोधन कर मानकों को कमजार किया है।

याचिका में आगे कहा गया कि सरकार ने खनिज भंडारण के लिए कोई जोन चिन्हित नहीं किया है और कृषि भूमि पर पांच साल भंडारण की अनुमति दे दी है। इससे कृषि भूमि का उपजाऊपन खत्म हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में खनिज भंडारण को बढ़ावा मिल रहा है। इससे ध्वनि और वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।

नयी नियमावली में खनिज भंडारण के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति का प्रावधान भी नहीं रखा गया है। धार्मिक, शैक्षणिक स्थलों के साथ ही अस्पताल और जल निकायों से दूरी को मात्र 50 मीटर और वन और रेलवे लाइन से दूरी 10 मीटर सीमित कर दी गई है।

याचिकाकर्ता की ओर से 18 सितम्बर, 2024 को जारी अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की गई है। खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई पर जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है।

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