कोरबा, अक्टूबर 01 -- शारदीय नवरात्र के दसवें दिन, अश्विन शुक्ल नवमी के अवसर पर कोरबा की जीवन रेखा हसदेव नदी के किनारे जवारा कलशों का विसर्जन कर नवरात्रि का भव्य समापन किया गया। भक्तों की भारी भीड़ और भक्ति भाव से मंदिर परिसर और घाट जगमगा उठा।

माँ सर्वमंगला देवी मंदिर में नवरात्रि के नौ दिनों तक आध्यात्मिक जागृति के साथ पूजा-अर्चना का क्रम चला। अष्टमी के दिन ज्योति कलशों का हवन-पूजन किया गया, और नवमी के दिन भक्तों ने कलशों को सिर पर रखकर हसदेव नदी की ओर ससम्मान रवाना किया।

राजपुरोहित नमन पाण्डेय (नन्हा महाराज) ने अपनी माँ एवं धर्मपत्नी के साथ नारी शक्ति की पूजा अर्चना करने के बाद कलश विसर्जन में नेतृत्व किया। चुनरी द्वार से हसदेव घाट तक ढोल-मंजीरा और जसगीत के साथ कलशों को विसर्जित किया गया। इस दौरान मंदिर से लेकर घाट तक माँ का जयकारा गूंजता रहा और भजन-कीर्तन की मधुर तान ने भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

इसके अलावा, शहर के दादर स्थित कंकालीन मंदिर में नौ दिन तक विशेष पूजा-अर्चना के बाद कन्या भोज का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए। सीतामढ़ी स्थित मां दुर्गा मंदिर में भी नौ दिनों तक मां के ज्योत जलाए गए और भजन-कीर्तन के साथ विशेष पूजा अर्चना की गई। अंतिम दिन कन्या भोज कर नवरात्रि का भव्य समापन हुआ।

भक्तों ने नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न रूपों को देखा, उपवास रखा और अंतिम दिन अपने-अपने घरों में कन्या भोज कर छोटे बच्चों को मां का श्रृंगार कर विदाई दी।

शहरवासियों के लिए यह नवरात्रि भक्ति और सांस्कृतिक समर्पण का अद्भुत उदाहरण रही।

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