कोण्डागांव , नवंबर 18 -- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के जिला परिषद कोण्डागांव ने आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के साथ बढ़ते अत्याचारों के खिलाफ मंगलवार को एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन के बाद कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम संबोधित एक ज्ञापन तहसीलदार कोण्डागांव को सौंपा। ज्ञापन में ऐसे मामलों में संबंधित विभागों के अधिकारियों द्वारा कर्तव्य पालन में लापरवाही और पीड़ितों को वैधानिक सहायता न मिलने पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है। पार्टी ने कुल पांच प्रमुख मांगों पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता जताई है।

भाकपा पीआई की यह पहल राष्ट्रीय परिषद के आह्वान पर देशभर में आयोजित उस राष्ट्रव्यापी आंदोलन का हिस्सा है, जिसमें 18 नवम्बर 2025 को सभी जिला मुख्यालयों में एक साथ धरना-प्रदर्शन कर आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर बढ़ते हमलों तथा लोकतांत्रिक अधिकारों के क्षरण के विरुद्ध आवाज उठाई गई। इसी क्रम में कोण्डागांव जिला मुख्यालय में भी कार्यकर्ताओं ने विभिन्न घटनाओं और पीड़ितों के अनुभवों के आधार पर बढ़ते शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और संपत्ति से संबंधित अपराधों पर चिंता जताई।

भाकपा ने आरोप लगाया कि पीड़ितों की शिकायत पर कई बार स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी और उच्चाधिकारी वैधानिक कार्रवाई करने के बजाय अपराधियों का साथ देते हैं, जिससे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय की व्यवस्था प्रभावित होती है। पार्टी का कहना है कि इस स्थिति से पीड़ित न्याय से वंचित हो रहे हैं, जबकि अत्याचार करने वालों का मनोबल लगातार बढ़ रहा है।

ज्ञापन में भाकपा ने पांच मांगें प्रमुखता से रखी हैं जिनमें आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों, अत्याचार, अन्याय और अपराधों पर तत्काल रोक लगे, दोषियों पर कठोर और निर्णायक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, अपराध की सूचना के बाद भी समय पर कार्रवाई न करने वाले जिम्मेदार सरकारी सेवकों पर भी सख्त कार्रवाई हो तथा कमजोर और वंचित वर्गों को न्याय, सुरक्षा और सम्मान की गारंटी मिले। भाकपा की पांचवी मांग में संविधान में निहित समानता, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिकसीपीआ न्याय के मूल्यों की रक्षा सुनिश्चित किए जाने की मांग की है।

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