कोटा , दिसम्बर 02 -- वर्तमान समय में बढ़ते औषधि दुष्प्रभावों और जीवनशैली संबंधी रोगों के बढ़ते मामलों को देखते हुए लोग पारंपरिक उपचार पद्धतियों की ओर तेजी से वापसी कर रहे हैं। अब तक 500 से अधिक रोगियों ने उपचार प्राप्त करके स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया है, जो इसकी प्रभावशीलता को प्रमाणित करता है।

इसी दिशा में कोटा मंडल रेलवे प्रशासन द्वारा रेलवे कर्मचारियों एवं उनके आश्रितों के स्वास्थ्य संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सुपर्णा सेन रॉय ने मार्च 2025 से मंडल रेलवे चिकित्सालय कोटा में प्राकृतिक चिकित्सा विभाग का संचालन प्रारंभ किया गया है। यह पहल कर्मचारी हित निधि उप समिति के सहयोग से की गई है, जिसका उद्देश्य औषधि रहित, सुरक्षित एवं दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध कराना है।

श्रीमती राय ने मंगलवार को बताया कि विभाग में कार्यरत डॉ. चन्द्रजीत शर्मा द्वारा प्राकृतिक चिकित्सा के प्रमुख उपचार जल चिकित्सा, मिट्टी चिकित्सा, सूर्य चिकित्सा, वायु चिकित्सा, एक्यूप्रेशर, एक्यूपंक्चर, सुजॉक उपचार, मसाज एवं हर्बल उपचार सहित विभिन्न रोगों के अनुरूप उपचार दिए जा रहे हैं। शरीर की स्वाभाविक उपचार क्षमता को सक्रिय करके स्वास्थ्य लाभ प्रदान करना इस चिकित्सा पद्धति का मूल आधार है। विभाग में अब तक 500 से अधिक रोगियों ने उपचार प्राप्त करके स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया है, जो इसकी प्रभावशीलता को प्रमाणित करता है।

उन्होंने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा का मूल सिद्धांत है कि स्वास्थ्य दवाइयों से नहीं, बल्कि प्रकृति के नियमों के पालन से प्राप्त होता है। संतुलित आहार, शुद्ध वायु, सूर्य ऊर्जा, जल उपचार, योग एवं मानसिक शांति-ये सभी तत्व संपूर्ण और स्वस्थ जीवन के आधार माने जाते हैं। यह चिकित्सा न केवल रोगों का उपचार करती है, बल्कि रोगों की जड़ अर्थात गलत जीवनशैली को सुधारने पर भी विशेष बल देती है।

वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक सौरभ जैन ने बताया कि रेलवे कर्मचारियों के लिए प्रारंभ किया गया यह विभाग न केवल स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध कराने में सहायक है, बल्कि सुरक्षित, सरल और दुष्प्रभाव रहित उपचार पद्धति की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल भी है। प्राकृतिक चिकित्सा जीवनशैली आधारित स्वास्थ्य संरक्षण का सशक्त माध्यम बनकर तेजी से लोकप्रिय हो रही है और कर्मचारियों को स्वस्थ, ऊर्जावान और संतुलित जीवन की ओर प्रेरित कर रही है।

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