रामनगर , नवंबर 12 -- उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में करीब सात साल के लंबे इंतजार के बाद हाथी सफारी दोबारा शुरू होने की संभावना है।
इसके साथ ही पर्यटक अब वॉच टावर से जंगल और वन्यजीवों का दीदार भी कर सकेंगे। इससे सैलानियों को पार्क की जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव करने का एक और रोमांचक मौका मिलेगा।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला ने बताया कि ढिकाला जोन के साथ-साथ विभिन्न जोनों में बने कक्षों में नाइट स्टे (रात में रुकने की सुविधा) भी 15 नवंबर से शुरू हो जाएगी। उन्होंने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी देश-विदेश से बड़ी संख्या में सैलानियों के पहुंचने की उम्मीद है। लेकिन इस बार का सीजन खास रहेगा क्योंकि सात साल बाद पर्यटक फिर से हाथियों की पीठ पर सवार होकर जंगल की सैर का आनंद ले पाएंगे।
उन्होंने कहा हमारी कोशिश रहेगी कि इस सीजन में पर्यटक हाथी सफारी का रोमांच महसूस करें और वॉच टावर से ऊपर से जंगल और ग्रासलैंड्स का नजारा देख सकें। इससे लोग कॉर्बेट के असली प्राकृतिक सौंदर्य को करीब से महसूस कर पाएंगे।
गौरतलब है कि साल 2018 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 का हवाला देते हुए पार्क में हाथियों के व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगा दी थी। इसके बाद हाथी सफारी पूरी तरह बंद हो गई थी। तब से पर्यटन व्यवसायी, स्थानीय गाइड और वन्यजीव प्रेमी लगातार इस फैसले की समीक्षा की मांग कर रहे थे, ताकि हाथियों के साथ संवेदनशील तरीके से सफारी को फिर शुरू किया जा सके।
स्थानीय निवासी गणेश रावत ने कहा कि यह पहल बेहद सराहनीय है। हाथी सफारी और वॉच टावर की सुविधा से पर्यटन गतिविधियों को नई ऊर्जा मिलेगी और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि हाथी सफारी एक अनोखा अनुभव है, जिसमें बिना मशीन की आवाज़ के जंगल की गहराइयों में प्रकृति की असली धड़कन महसूस होती है। वॉच टावर से जानवरों को बिना डिस्टर्ब किए देखना बेहद रोमांचक होता है।
पार्क प्रशासन का मानना है कि इससे न केवल पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
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