बेलेम (ब्राजील) , नवंबर 07 -- कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के विशेष प्रतिनिधियों ने ब्राजील के बेलेम में 10 से 21 नवंबर तक आयोजित होने जा रहे कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज-30 (कॉप-30) के सम्मेलन में शामिल होने वाले विश्व भर के नेताओं को एक खुला पत्र लिख कर पेरिस समझौते को पूरी तरह लागू करने का आह्वान किया है।
यह खुला पत्र वर्ल्ड एनर्जी काउंसिल के विशेष प्रतिनिधि अदनान जेड अमीन, काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के विशेष प्रतिनिधि अरुणाभा घोष, अफ्रीका क्लाइमेट फाउंडेशन के विशेष प्रतिनिधि कार्लोस लोपेस, न्यूज़ीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री और ओशियाना क्षेत्र की विशेष प्रतिनिधि जेसिंडा अर्डर्न, उत्तरी अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जोनाथन पर्शिंग आदि ने वैश्विक नेताओं को लिखा है।
प्रतिनिधियों ने कॉप-30 को अपना पूर्ण समर्थन देने की घोषणा करते हुए कहा कि यह एक सुनहरा अवसर है जब दुनिया भर के नेता एक साथ एक मंच पर इकट्ठा होने जा रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि 2015 के पेरिस समझौते के बाद दुनिया ने अच्छी खासी प्रगति की है। इसमें लिखा है, "जहां हम 4 डिग्री सेल्सियस से अधिक के विनाशकारी तापमान वृद्धि को पार करने की राह पर थे, वहीं अब हम 2.5 डिग्री सेल्सियस से कम के स्तर का अनुमान लगा रहे हैं।" लेकिन साथ ही यह भी चेतावनी दी गयी है कि दुनिया अभी भी पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पाने की राह पर नहीं हैं।
पत्र में चेतावनी दी गयी है, "हम वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखने या कम से कम 2 डिग्री सेल्सियस से काफी नीचे रखने के लिए अपर्याप्त कदम उठा रहे हैं।" प्रतिनिधियों ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि तापमान वृद्धि का हर दसवां हिस्सा दुनिया के लिए सख्त परिणाम लेकर आएगा।
प्रतिनिधियों ने वैश्विक नेताओं से आग्रह किया कि कॉप-30 को जलवायु परिवर्तन की दिशा में तेजी से कार्रवाई करने के लिए शमन रणनीति, अनुकूलन रणनीति और वित्त पोषण तीनों पर प्रतिबद्धता से काम करने की जरूरत है। पत्र में कहा गया है कि दुनिया को इन तीनों क्षेत्रों में हो रही अपर्याप्त प्रगति को स्वीकार करना होगा।
पत्र में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में ठोस और समन्वित कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित करना होगा। प्रतिनिधियों ने कहा कि समन्वित कार्रवाई से वैश्विक अक्षय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है, इसके लिए बस बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता है। निवेश बढ़ाने के लिए बीमा क्षेत्र, केंद्रीय बैंकों और निजी निवेशकों को शामिल करना होगा। साथ ही लचीलापन और अनुकूलन को मजबूत करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
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