बेलेम , नवंबर 14 -- संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन (कॉप-30) में भोजन की बर्बादी से होने वाले मीथेन गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए नयी पहल शुरू की गयी है।

ब्राजील के बेलेम में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण एजेंसी और साझेदार संगठनों की ओर से प्रस्तुत 'फूड वेस्ट ब्रेकथ्रू' नामक इस पहल का उद्धेश्य वर्ष 2030 तक भोजन की बर्बादी में 50 प्रतिशत तक की कमी लाना है और मीथेन के उत्सर्जन में सात प्रतिशत की कमी सुनिश्चित करना है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की कार्यकारी निदेशक इंगेर ऐंडरसन ने कहा कि इससे खाद्य बर्बादी में कमी लाने, कूड़ाघरों से होने वाले मीथेन उत्सर्जन से निपटने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही वैश्विक तापमान में कमी लाने, धन बचाने और खाद्य असुरक्षा से निपटने में मदद मिलेगी।

यूएनईपी के एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक वर्ष एक अरब टन भोजन की बर्बादी के अलावा क़रीब एक हज़ार अरब डॉलर की हानि होती है। यह बर्बादी कुल वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान और मीथेन उत्सर्जन में लगभग 14 प्रतिशत योगदान देती है।

कॉप-30 के लिए 'जलवायु चैम्पियन' डैन इश्पे ने आगाह किया कि यदि भोजन बर्बादी को नहीं रोका गया तो 2050 तक मीथेन उत्सर्जन का असर दोगुना हो सकता है जिससे जलवायु और खाद्य सुरक्षा पर गहरा असर होगा। उन्होंने कहा, " लेकिन समाधान भी हमारे हाथों में है। सरकारों, शहरों, व्यवसायों और विश्व भर में समुदायों को एक साथ लेकर हम 2030 तक खाद्य बर्बादी को आधा कर सकते हैं और भोजन को कूड़ा घरों से दूर रख सकते हैं।" इस पहल को ब्राज़ील, जापान और ब्रिटेन के अलावा अनेक शहरों और कम्पनियों का समर्थन प्राप्त हो चुका है। इसे 30 लाख डॉलर की मदद से चार वर्ष के लिए लागू किया जाएगा।

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