तिरुवनंतपुरम , अक्टूबर 07 -- केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने राज्य विधानसभा में कहा कि केरल सरकार दशकों पहले राज्य में प्रवास करने वाले तमिल भाषी अल्पसंख्यक समुदायों के लिए जाति प्रमाण पत्र जारी करने से संबंधित मानदंडों में संशोधन के लिए केंद्र सरकार को मनाने के प्रयासों को तेज करेगी।

माकपा के ए. राजा द्वारा प्रस्तुत एक प्रस्तुति का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा नियमों के अनुसार जाति प्रमाण पत्र केवल उन तमिल भाषी अल्पसंख्यक समूहों को जारी किए जाते हैं जो 1950 से पहले केरल में प्रवास करके स्थायी रूप से बस गए थे।

उन्होंने बताया कि नदवत्तम गोपालकृष्णन समिति ने इस कट-ऑफ वर्ष को 1 जनवरी, 1970 तक बढ़ाने की सिफारिश की थी। हालांकि चूंकि 1950 से पहले तत्कालीन त्रावणकोर, कोचीन और मद्रास प्रेसीडेंसी क्षेत्रों में प्रवास और स्थायी निवास के संबंध में कोई प्रामाणिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए नियमों में संशोधन करने से पहले एक विस्तृत जांच की आवश्यकता होगी।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि चूंकि प्रवासन संघ सूची में आता है इसलिए केवल केंद्र सरकार ही मौजूदा दिशा-निर्देशों में संशोधन कर सकती है। वर्तमान में केरल में बसे प्रवासियों के लिए जाति प्रमाण पत्र केंद्र द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार ही जारी किए जाते हैं।

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