गुरुवायूर , दिसंबर 01 -- भगवान श्रीकृष्ण की पवित्र नगरी गुरुवायूर सोमवार को अपने सबसे बड़े त्योहार एकादशी के भव्य आयोजन के लिए पूरी तरह तैयार है। पूरे शहर में उत्सवी माहौल छाया हुआ है।
मंदिर प्रशासन ने हजारों-लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए व्यापक इंतजाम किए हैं। ये लोग पहले से ही इस पवित्र तीर्थ पर पहुंच चुके हैं।
एकादशी यहां गीता जयंती के रूप में मनाई जाती है, क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया था। दिन भर की पूजा का मुख्य आकर्षण उदयास्तमान पूजा है, जो सूर्योदय से सूर्यास्त तक निरंतर चलती है। इसके साथ ही भक्तों के लिए महा अन्नदानम (सामूहिक भोज) का भी आयोजन किया गया है। मंदिर के चारों ओर हजारों दीपकों की चुत्तुविलक्कू (दीपमाला) जलाने से आध्यात्मिक वैभव और भी बढ़ जाता है।
इस दिन का विशेष महत्व यह भी है कि श्रद्धालुजन प्रसिद्ध मंदिर हाथी गुरुवायूर केशवन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिनका महाप्रयाण 1976 में इसी एकादशी के दिन हुआ था।
सांस्कृतिक दृष्टि से भी एकादशी का दिन और भी खास है। महान संगीतज्ञ चेम्बई वैद्यनाथ भागवतर इसी दिन गुरुवायूर में अपना पारंपरिक संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत करते थे। उनके 1974 में निधन के बाद देवस्वोम बोर्ड ने उनकी स्मृति में हर साल संगीत उत्सव शुरू किया।
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