नयी दिल्ली , दिसंबर 25 -- दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता डॉ. नरेश कुमार ने अरावली पर्वतमाला के संरक्षण के मामले में केंद्र सरकार की नीति को विनाशकारी बताते हुए कहा है कि अरावली सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत के पर्यावरणीय संतुलन की रीढ़ है और इसके साथ किसी भी प्रकार का समझौता भविष्य की पीढ़ियों के साथ विश्वासघात होगा।
डॉ. कुमार ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा कि उच्चतम न्यायालय के पूर्व निर्णयों, पर्यावरणीय कानूनों और वैज्ञानिक मानकों का सम्मान करना केंद्र सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गढ़ी गयी अरावली की नयी परिभाषा के कारण इसका विशाल क्षेत्र संरक्षण से बाहर हो रहा है। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार तुरंत शीर्ष अदालत में समीक्षा याचिका दायर करे और अदालत के समक्ष एक सशक्त, वैज्ञानिक और ईमानदार पक्ष रखे, ताकि अरावली की वास्तविक सुरक्षा सुनिश्चित करे।
उन्होंने आरोप लगाया कि नयी परिभाषा के तहत अरावली का 90 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र खनन, रियल एस्टेट और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के लिए खोला जा सकता है, जिससे खनन माफिया और भू-माफिया को सीधा लाभ पहुंचेगा।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अरावली दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच है, जो भूजल पुनर्भरण, वायु प्रदूषण नियंत्रण और मरुस्थलीकरण की रोकथाम में निर्णायक भूमिका निभाती है। अरावली को कमजोर करना सीधे तौर पर जल संकट, जहरीली हवा और गंभीर जनस्वास्थ्य संकट को न्योता देना है।
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