विजयपुरा , नवंबर 09 -- कर्नाटक के बृहद् और मध्यम उद्योग तथा बुनियादी ढांचा विकास मंत्री एमबी पाटिल ने रविवार को कहा कि राज्य सरकार केंद्र को उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) नीति से 700 रुपये अधिक का भुगतान कर रही है जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर किसानों को गुमराह करने में लगी है।

श्री पाटिल ने यहां पत्रकारों से कहा, "हम सभी कारखाना मालिकों के साथ आम सहमति पर पहुंच गए हैं और वे हमारे फैसले से सहमत हैं, हालांकि बागलकोट और विजयपुरा में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।"श्री पाटिल ने राज्य सरकार द्वारा 3,300 रुपये प्रति टन गन्ने के मूल्य की घोषणा पर चल रहे विवाद पर कहा, "गन्ने के मूल्य निर्धारण से संबंधित सभी मामले केंद्र सरकार के अधीन हैं। केंद्र द्वारा एफआरपी 3,550 रुपये प्रति टन तय किया गया था। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री कौन हैं? प्रह्लाद जोशी हैं। केंद्र सरकार ही एफआरपी तय करती है।"उन्होंने समझाया, "जब आप कटाई और परिवहन लागत लगभग 800 से 900 रुपये जोड़ते हैं, तो केंद्र के एफआरपी के तहत कुल 2,600-2,700 रुपये होते हैं। अब हम जो दर दे रहे हैं वह उससे 700 रुपये अधिक है। एफआरपी और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) दोनों केंद्र द्वारा तय किए जाते हैं। चीनी का निर्यात और आयात भी केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाता है। राज्य केवल केंद्र द्वारा निर्धारित एफआरपी को लागू करता है। फिर भी हमने केंद्रीय एफआरपी से 700 रुपये अधिक सुनिश्चित किया है।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित