नयी दिल्ली , अक्टूबर 03 -- केंद्र सरकार ने कृषि शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा फैसला करते हुए कहा है कि 12वीं में जीवविज्ञान, रसायन, भौतिकी, गणित या कृषि विषय से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी समान रूप से स्नातक प्रवेश परीक्षा दे सकेंगे।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को यहां यह जानकारी देते हुए कहा कि 'एक देश-एक कृषि-एक टीम' की भावना के अनुरूप, देश भर के छात्रों के लिए पात्रता मानदंड एवं विषय समूह को एक समान कर दिया गया है जिससे अब छात्र राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी - आईसीएआर) के जरिये सीधे-पारदर्शी तरीके से कृषि पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकेंगे। इसके अलावा कृषि विश्वविद्यालयों की 20 प्रतिशत स्नातक सीटें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा आयोजित अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से भरी जायेंगी।

गौरतलब है कि सीयूईटी -आईसीएआर, कृषि एवं संबद्ध विज्ञान के स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए आईसीएआर, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के माध्यम से एक प्रवेश परीक्षा आयोजित करती है। यह परीक्षा उन उम्मीदवारों के लिए है जो आईसीएआर से संबद्ध विश्वविद्यालयों में कृषि और संबद्ध विज्ञान के स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेना चाहते हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने पत्रकारों से बातचीत करते हुये कहा कि कृषि स्नातक (बीएससी - एग्री) में, प्रवेश को लेकर कुछ वर्षों से एक बड़ी समस्या छात्र-छात्राओं के लिए अक्षम पात्रता मानदंड की थी। समस्या यह थी कि 12वीं में अलग-अलग विषय संयोजनों (कृषि/ जीव विज्ञान / रसायन / भौतिकी / गणित) तथा विभिन्न राज्यों के अलग नियमों और पात्रता के कारण योग्य छात्र-छात्राएं बीएससी (कृषि) की पढ़ाई नहीं कर पाते थे।

इस बारे में पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया के माध्यम से विद्यार्थियों ने समस्या बताई थी, वहीं कुछ राज्यों के जनप्रतिनिधियों ने भी श्री चौहान को इस संबंध में लिखा था। इस पर श्री चौहान ने आईसीएआर के महानिदेशक डा. मांगी लाल जाट को निर्देशित किया कि वे राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों एवं उनके कुलपतियों के साथ बातचीत करके इसका त्वरित हल ढूंढ़ने की दिशा में काम करें।

श्री चौहान ने कहा कि नये फैसले से अब देशभर के छात्र-छात्राओं के लिए प्रवेश के अवसर सुगम तथा एक समान हो गए हैं। इस व्यवस्था से शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से बीएससी -कृषि में प्रवेश संबंधित सभी जटिलताएं दूर हो गई हैं और हजारों विद्यार्थियों को सीधे-सीधे इसका लाभ मिलेगा।

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