नयी दिल्ली , अक्टूबर 16 -- केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में गुरुवार को यहां एक बैठक में कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) को और अधिक सशक्त एवं परिणामकारी बनाने में गहन विचार-विमर्श किया गया।
श्री चौहान ने बैठक में कहा कि देश भर में वर्तमान में 731 केवीके हैं जिनके नेटवर्क का विस्तार करने के साथ ही उन्हें छोटे किसानों के हित में मजबूती देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र किसानों तक पहुंच के लिए देशभर में कार्यरत सबसे प्रमुख माध्यम हैं। इनकी भूमिका तकनीकी प्रसार, प्रशिक्षण एवं कृषि नवाचारों को किसानों तक पहुंचाने में है।
उन्होंने कहा कि केवीके को सरकार की किसान हितैषी नीतियों, कार्यक्रमों और योजनाओं को किसानों की भलाई और उनकी जागरूकता के लिए उनके बीच पहुंचाना चाहिए। इसके साथ ही केवीके इंटीग्रेटेड फार्मिंग और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये मॉडल बनाकर कार्य करें।
श्री चौहान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये कि केवीके की कार्यप्रणाली को सुचारू करने के साथ ही इनकी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए इन्हें समुचित वित्तीय, मानव संसाधन और तकनीकी सहायता उपलब्ध करायें जाये। श्री सिंह ने केवीके में कार्यरत वैज्ञानिकों और कर्मचारियों की योग्यता अनुरूप पदोन्नति और अकादमिक समता सुनिश्चित करने के लिए पहल करने पर भी जोर दिया।
उन्होंने प्रशिक्षण, अनुसंधान विस्तार और कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सभी केवीके में एकरूपता लाने के निर्देश दिये। बैठक में श्री चौहान ने केवीके के सभी वैज्ञानिकों और कर्मचारियों के वेतन-भत्ते, पदोन्नति, सेवानिवृत्ति आयु तथा सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले लाभ के संबंध में अधिकारियों से समुचित समाधान करने के लिए चर्चा की। उन्होंने इस संबंध में राज्य सरकारों तथा नीति आयोग और केंद्रीय वित्त मंत्रालय के स्तर पर भी समुचित हल के लिए पहल करने के निर्देश दियेबैठक में केंद्रीय कृषि सचिव डॉ देवेश चतुर्वेदी, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुये।
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