कुशीनगर , दिसम्बर 14 -- उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के जंगल खिरकिया गांव में आज भी एक बंद घर, उस पर रखा लकड़ी का बोझ और भीतर पसरा सन्नाटा एक दर्दनाक कहानी बयान करता है। यह कहानी है शैलेश मुसहर की संदिग्ध मौत के बाद उसकी पत्नी माला देवी की, जो पति के जाने के बाद न सिर्फ सहारा खो बैठी, बल्कि रोजी-रोटी, जमीन और सम्मान-तीनों के लिए संघर्ष करने को मजबूर हो गई। अब करीब एक साल बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के आदेश ने माला के जीवन में न्याय की रोशनी जगाई है।
जिला प्रशासन के अनुसार कुशीनगर के जंगल खिरकिया गांव निवासी शैलेश मुसहर की 17 सितंबर 2024 की रात संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उस वक्त माला देवी पर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। वह बताती है कि पति की मौत के बाद गांव में रहना मुश्किल हो गया। घर में ताला लगाकर, बाहर लकड़ी का बोझ रखकर वह तुर्कपट्टी थाना क्षेत्र के बभनौली कोठी गांव में अपने भाई नागेंद्र के घर चली गई। तभी से वह कभी-कभार ही अपने गांव आती है।
माला बताती है कि उसके नाम 17 कट्ठा जमीन है, लेकिन पति के इलाज और कर्ज के बोझ तले उसे 70 हजार रुपये में गिरवी रखना पड़ा। उसे यह तक जानकारी नहीं थी कि पति की मौत के मामले में सरकार की ओर से कोई सहायता भी मिल सकती है। जब उसे बताया गया कि एनएचआरसी के आदेश से आर्थिक मदद मिलने की संभावना है, तो उसकी आंखों में उम्मीद झलक उठी। बोली कि "पइसवा मिल जाई त रेहन रखल जमिनिया छोड़ा लेब."ग्रामीणों के अनुसार, शैलेश की मौत के बाद माला गांव में टिक नहीं पाई। वह अपने दोनों बच्चों कृष्णा और अंकुश को लेकर भाई के घर रहने लगी। उसका कहना है...जब पति ही नहीं रहे तो किसके सहारे यहां रहती। मामले की जड़ में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों का कर्ज बताया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक माला ने छह माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से करीब 2.30 लाख रुपये का कर्ज लिया था। कर्ज को लेकर गांव के ही एक परिवार से विवाद हुआ, जो बाद में मारपीट तक पहुंच गया। मारपीट के बाद शैलेश की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम के बाद जब 19 सितंबर 2024 को शैलेश का शव गांव पहुंचा, तो हालात और बिगड़ गए। ग्रामीणों ने दोषियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर अंत्येष्टि से इनकार कर दिया और धरने पर बैठ गए। करीब चार घंटे तक चले धरने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों के आश्वासन पर अंतिम संस्कार हो सका। इस मामले में पडरौना कोतवाली पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।
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