नयी दिल्ली, सितम्बर 30 -- सोने और चांदी की लगातार चढ़ रही कीमतों के बीच विशेषज्ञों की उम्मीद है कि आने वाले समय में चांदी उत्पादन के काम में लगी कंपनियों के शेयरों में उछाल आ सकता है।

चांदी ने इस साल अब तक 57 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। इससे कुछ लोगों ने चांदी में निवेश करना शुरू कर दिया है। वहीं विशेषज्ञों की राय है कि इसका असर आने वाले समय में चांदी के उत्पादन करने वाली और आभूषण बनाने वाली कंपनियों के शेयरों पर भी देखने को मिलेगा।

देश में चांदी के उत्पादन में लगी सबसे बड़ी कंपनी हिंदुस्तान जिंक का एक महीने का रिटर्न अब तक 10 प्रतिशत रहा है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में चांदी की कीमतों का असर शेयर पर आयेगा। ऐसे में जानकार सीधे चांदी खरीदने की बजाय चांदी के उत्पादन में लगी कंपनियों में निवेश की सलाह दे रहे हैं।

एम के ग्लोबल फाइनेंस सर्विसेज ने चांदी पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चांदी की बढ़ती हुई कीमतों का असर हिंदुस्तान जिंक के शेयर पर दिख रहा है और उम्मीद है कि कंपनी की वैल्यू आने वाले समय में और बढ़ेगी। दरअसल दुनिया भर में चांदी की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन उसका उत्पादन मांग के मुकाबले नहीं बढ़ पा रहा है।

चांदी का औद्योगिक इस्तेमाल अब लगातार बढ़ रहा है। सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन, मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं में चांदी का उपयोग बढ़ रहा है। साथ ही, निवेश के लिहाज से भी अब चांदी काफी तेजी से खरीदी जा रही है। मांग में इस तेजी की वजह से आने वाले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी 70 डॉलर प्रति औंस के उच्च स्तर को छू सकती है। इससे घरेलू बाजार में भी चांदी की कीमतें उसी अनुरूप बढ़ेंगी और भाव दो लाख रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर तक जा सकते हैं। इससे चांदी उत्पादन में लगी कंपनियों को सीधा फायदा पहुंचेगा।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, अगले 12 महीने में चांदी की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिल सकती है। अनुमान है कि घरेलू बाजार में चांदी का भाव धीरे-धीरे बढ़कर 1.35 लाख रुपये प्रति किलोग्राम और फिर 1.50 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकता है।

देश में लगभग 700 टन चांदी का उत्पादन होता है। मुख्य उत्पादन राजस्थान और कुछ अन्य राज्यों में होता है। वहीं, चांदी की मांग के मामले में भारत पहले पायदान पर है। इस साल देश की कुल चांदी की मांग 5,500 से 6,000 टन के बीच रहने की संभावना है। पिछले साल यह आंकड़ा रिकॉर्ड 7,669 टन था, जिसमें से अधिकांश आयात किया गया था। हाल के वर्षों में चांदी एक निवेश साधन के तौर पर तेजी से उभरी है और ईटीएफ, बुलियन और सिक्कों के जरिये इसकी मांग बढ़ी है। अब शेयर बाजार में भी चांदी उत्पादन करने वाली कंपनियों पर निवेशकों की नजर पड़ी है।

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