श्रीगंगानगर , दिसम्बर 22 -- राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले के पदमपुर तहसील क्षेत्र स्थित बींझबायला कस्बे में सोमवार को अखिल भारतीय किसान सभा की ओर से किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया।

इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य किसानों की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा करना और उनके हितों के लिए संगठित संघर्ष को मजबूत बनाना था। सम्मेलन में बड़ी संख्या में किसान और स्थानीय नेता शामिल हुए, जहां सरकार की किसान विरोधी नीतियों पर कड़ी आलोचना की गयी।

सम्मेलन में केंद्रीय किसान कौंसिल के सदस्य गुरचरण सिंह मोड़ ने अपने संबोधन में किसानों से आग्रह किया कि वे संगठित होकर गांव, गरीबों और किसानों से जुड़ी समस्याओं के खिलाफ संघर्ष करें। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकारों की किसान विरोधी नीतियां खेती को घाटे का सौदा बना रही हैं। कर्ज के बोझ तले दबे किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। इस स्थिति के खिलाफ देशभर में किसानों की व्यापक एकता स्थापित करने और संघर्ष तेज करने की आवश्यकता है।

किसान सभा के जिलाध्यक्ष अमतेंद्र सिंह क्रांति ने जिले में व्याप्त सिंचाई पानी के संकट पर चिंता जतायी। उन्होंने बताया कि पानी की कमी के कारण किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा मूंग और कॉटन की खरीद में भारी अनियमिततायें व्याप्त हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।

उन्होंने यूरिया और डीएपी जैसी उर्वरकों की उपलब्धता पर भी सवाल उठाया और कहा कि किसानों को रोजाना लंबी लाइनों में खड़े होकर इनकी प्राप्ति करनी पड़ती है। स्पष्ट है कि किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है और सरकारें इन मुद्दों पर उदासीन बनी हुई हैं।

सम्मेलन में उपस्थित सभी ने फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद सुनिश्चित करने, सिंचाई पानी की उपलब्धता, मनरेगा योजना के तहत रोजगार, यूरिया और डीएपी की किल्लत जैसी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए इन मुद्दों पर किसान आंदोलन को तेज करने का आह्वान किया गया।

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